नई दिल्ली। साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में कार्यरत संस्थान ’स्वयं प्रकाश स्मृति न्यास’ ने सुप्रसिद्ध साहित्यकार स्वयं प्रकाश की स्मृति में दिए जाने वाले वार्षिक सम्मान की घोषणा कर दी है। न्यास के अध्यक्ष प्रो मोहन श्रोत्रिय ने बताया कि राष्ट्रीय स्तर के इस सम्मान में इस बार कथेतर विधाओं में रिपोर्ताज़ लिए सुपरिचित लेखक और पत्रकार शिरीष खरे की पुस्तक ‘एक देश बारह दुनिया’ को दिया जाएगा।

सम्मान के लिए तीन निर्णायक मंडल ने इस पुस्तक को वर्ष 2022 के लिए चयनित करने की अनुशंसा की है। निर्णायक मंडल के वरिष्ठतम सदस्य काशीनाथ सिंह (वाराणसी) ने अपनी संस्तुति में कहा कि युवा लेखक शिरीष खरे का रिपोर्ताज़ लेखन एक साथ वैचारिक और साहित्यिक कसौटियों पर खरा उतरता है। उनकी पुस्तक ‘एक देश बारह दुनिया’ उस लेखन परम्परा का विकास है जो रांगेय राघव, अमृत राय और स्वयं प्रकाश जैसे लेखकों ने निर्मित की है। यह सामाजिक सरोकारों वाला ऐसा समर्थ गद्य है जो कथेतर लेखन को भी ऊंचाई देने वाला है।
निर्णायक मंडल के दूसरे सदस्य कवि-गद्यकार राजेश जोशी (भोपाल) ने शिरीष खरे की पुस्तक ‘एक देश बारह दुनिया’ की अनुशंसा में कहा कि स्वयं प्रकाश अपने कहानी लेखन के साथ साथ कथेतर लेखन में जिन सामाजिक सरोकारों के लिए सृजनरत रहे उन्हीं सरोकारों को खरे की इस कृति में देखना आश्वस्तिप्रद है। निर्णायक मंडल के तीसरे सदस्य प्रो असग़र वजाहत (दिल्ली) थे।
प्रो श्रोत्रिय ने बताया कि मूलत: राजस्थान के अजमेर निवासी स्वयं प्रकाश हिंदी कथा साहित्य के क्षेत्र में मौलिक योगदान के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने ढाई सौ के आसपास कहानियां लिखीं और उनके पांच उपन्यास भी प्रकाशित हुए थे। इनके अतिरिक्त नाटक, रेखाचित्र, संस्मरण, निबंध और बाल साहित्य में भी अपने अवदान के लिए स्वयं प्रकाश को हिंदी संसार में जाना जाता है। उन्हें भारत सरकार की साहित्य अकादेमी सहित देश भर की विभिन्न अकादमियों और संस्थाओं से अनेक पुरस्कार और सम्मान मिले थे। उनके लेखन पर अनेक विश्वविद्यालयों में शोध कार्य हुआ है तथा उनके साहित्य के मूल्यांकन की दृष्टि से अनेक पत्रिकाओं ने विशेषांक भी प्रकाशित किए हैं। 20 जनवरी 1947 को इंदौर में जन्मे स्वयं प्रकाश का निधन कैंसर के कारण 7 दिसम्बर 2019 को हो गया था।