वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ और चंद्रशेखर आजाद का रिश्ता किसी से छुपा नहीं है। काशी विद्यापीठ में जब आचार्य नरेंद्र देव चंद्रशेखर आजाद को लेकर आए, तब उन्होंने काशी विद्यापीठ में ही संस्कृत का अध्ययन शुरू ही किया था कि स्वतंत्रता के लिए महात्मा गांधी का चलाया आंदोलन जोर पकड़ने लगा और शिक्षा की परवाह न करते हुए आजाद असहयोग आंदोलन में कूद गए। वह 15-20 विद्यार्थियों को इकट्ठा कर के उनके साथ जुलूस निकाला और बनारस की गलियों में वंदेमातरम, भारत माता की जय, इंकलाब जिंदाबाद, महात्मा गांधी की जय जय कार करते हुए बनारस की गलियों में घूमा करते थे।
असहयोग आंदोलन के दौरान ही 14-15 वर्ष के चंद्र शेखर पहली व अंतिम बार गिरफ्तार हुए, जब मजिस्ट्रेट खरे घाट पारसी ने उनसे उनका नाम पूछा तो उन्होंने उत्तर दिया आजाद, और पिता का नाम पूछने पर उन्होंने उत्तर दिया स्वाधीनता और जब उसने पता पूछा तो उन्होंने उत्तर दिया जेल थाना। जब चंद्रशखर जेल से बाहर आए तो ज्ञानवापी में आयोजित सभा में काशीवासियों ने उनका सम्मान किया था। काशी विद्यापीठ उस दौर में क्रांतिकारियों का प्रमुख केंद्र हुआ करता था और विद्यापीठ के ललित कला विभाग तहखाने में क्रांतिकारियों की गुप्त बैठकी हुआ करती थी और चंद्रशेखर आजाद ने कई बार इस तहखाने में बैठक की थी। इसलिए चंद्रशेखर आजाद काशी विद्यापीठ की क्रांतिकारी धरा के अंश रहे हैं, इसी बात के मद्देनजर आज उनकी जयंती पर काशी विद्यापीठ के हर विभाग में चंद्रशेखर आजाद की जयंती मनाई गई।
जयंती की शुरुआत काशी विद्यापीठ के छात्रसंघ भवन में स्थित चंद्रशेखर आजाद की प्रतिमा पर माल्यार्पण से की गई, जिसमें कुलपति प्रो. आनंद कुमार त्यागी, जनसंपर्क अधिकारी डॉ. नवरत्न सिंह, छात्रसंघ अध्यक्ष शशि प्रकाश चंदन, छात्रसंघ महामंत्री अभिषेक सोनकर, एक्टिविटी क्लब हेड राणा अंशुमान सिंह, एक्टिविटी क्लब के हेड अश्वनी कुमार व प्रमोद मौर्या आशुतोष तिवारी सहित अन्य सदस्य मौजूद रहे, इस गौरवशाली अवसर पर छात्रसंघ अध्यक्ष शशि प्रकाश चंदन तथा एक्टिविटी क्लब ने कुलपति से आजाद पुरस्कार की पहल करने की बात रखी और प्रत्येक वर्ष दीक्षांत समारोह में विश्विद्यालय के हित में काम करने वाले विद्यार्थियों शिक्षकों व अधिकारियों को “आजाद पुरस्कार” से सम्मानित करने की पहल पर कुलपति ने सहमति दी।
शिक्षा संकाय में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति ने कहा कि चंद्रशेखर आजाद का अदम्य साहस और वीरता हमारे प्रेरणा स्त्रोतऔर हम सब को मिलकर अपने नव युवकों को अपने वीर क्रांतिकारियों को की गाथा को बताना चाहिए इस अवसर पर उन्होंने बाल गंगाधर तिलक के व्यक्तित्व पर भी प्रकाश डाला। संयोजक प्रो. सुशील कुमार गौतम रहे। समाज कार्य विभाग में प्रो. वंदना सिन्हा, डॉ. बंसीधर पांडे , प्रो. भावना वर्मा, इतिहास विभाग में प्रो. योगेंद्र सिंह, वाणिज्य विभाग में प्रो. केएस जायसवाल, राष्ट्रीय सेवा योजना तथा महिला सशक्तिकरण के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित कार्यक्रम में डॉ. केके सिंह तथा डॉ. निशा सिंह, विधि विभाग में प्रो. रंजन कुमार, हिंदी विभाग एवं हिंदी पत्रकारिता संस्थान में प्रो. अनुराग कुमार के नेतृत्व में आजाद जयंती कार्यक्रम आयोजित हुए।