वाराणसी। वरिष्ठ चिकित्सक पद्मश्री प्रो. कमलाकर त्रिपाठी ने कहा है कि बीएचयू उनके अध्यापकों का है जिन्होने यहां तपस्या की। डॉ. केएन उडुप्पा जैसे अनेक संत स्वरूप शिक्षको ने यहां सेवाएं दीं। उन्होंने कहा कि शिक्षक मन की पवित्रता से कार्य करते हैं। वे कभी भी सेवानिवृत्त नही होते। प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि माता हमारी पहली शिक्षक होती है। हम सभी सौभाग्यशाली है कि हमें यहां काम करने का अवसर मिला।

शिक्षक दिवस पर सोमवार को डॉ. केएन उडुप्पा सभागार में आयोजित कार्यक्रम में प्रो. त्रिपाठी मुख्य अतिथि रहे। अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन ने कहा कि शिक्षकों का समाजिक उत्थान में जो योगदान होता है, उसे समाज को ठीक से बताना चाहिए। मै अपने कई शिक्षकों की वजह से आज यहां तक पहुंचा हूं। शिक्षको का योगदान एवं मार्गदर्शन अनन्त तक होता है। प्रो. जैन ने कहा कि किसी भी संस्था के लिए शिक्षक रीढ़ के समान होते है। अमुक संस्था के शिक्षकों में कितनी योग्यता एवं संस्कार है इसी पर संस्था का विकास निर्भर रहता है। हमें सोचना चाहिए कि क्या हम शिक्षक के रूप में अपना दायित्व, निष्ठा समर्पण एवं इमानदारी से निर्वहन कर पा रहे हैं। हमें यह भी सोचना चाहिए कि हम विश्वविद्यालय के वातावरण एवं व्यवस्था को बेहतर बनाने में कितना योगदान दे सकते है।
शिक्षक दिवस पर विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त 41 शिक्षकों को अंगवस्त्र एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। स्वागत सम्बोधन कुलसचिव प्रो. अरुण कुमार सिंह ने दिया। रेक्टर प्रो. वीके शुक्ला ने मुख्य अतिथि का परिचय दिया। प्रो. महेन्द्र कुमार सिंह एवं प्रो. विद्योत्तमा मिश्रा ने सेवानिवृत्त शिक्षको की ओर से अपने विचार व्यक्त किये एवं अनुभव साझा किये। कार्यक्रम का संचालन हिन्दी विभाग के प्रो. नीरज खरे तथा धन्यवाद ज्ञापन छात्र अधिष्ठाता प्रो. अनुपम कुमार नेमा ने दिया।