आर. संजय
क्रिकेट में यॉर्कर गेंदें बाउंसर से ज्यादा खतरनाक मानी जाती हैं। क्रिकेट के इतिहास को देखें तो कई बार बल्लेबाज इन गेंदों पर औंधे मुंह गिर चुके हैं। इसके अलावा ये विकेट की गारंटी भी होती हैं। स्टम्प की लाइन में न भी हों तो इनपर रन बमुश्किल ही बनते हैं। बाहर पड़ने वाली कुछ यॉर्कर गेंदें ऐसी भी होती हैं, जिन्हें बल्ला खुद स्टम्प तक खींच लाता है। खासतौर पर क्रिकेट के सबसे छोटे प्रारूप टी-20 के डेथ (16-20) ओवरों में तो यहअचूक और प्रमुख हथियार मानी जा रही हैं।
ऑस्ट्रेलिया में हो रहे विश्व कप के शुरुआती मैचों में यॉर्कर गेंदों ने अपनी उपयोगिता बखूबी साबित की है। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अभ्यास मैच में मोहम्मद शमी ने दिखाया कि यॉर्कर गेंदें कैसे विकेट निकालती हैं। इसके अलावा अन्य टीमों के गेंदबाज भी खासकर डेथ ओवरों में इन गेंदों का इस्तेमाल करते दिखे।
यह भी सही है कि हर गेंद यॉर्कर नहीं फेकी जा सकती, लेकिन ऐसी गेंद फेकने में महारत रखने वाले गेंदबाज को बल्लेबाज पर अंकुश रखने में मदद जरूर मिलती है। यॉर्कर गेंद गति में परिवर्तन से और मारक बनाई जा सकती है। भारत में जसप्रीत बुमराह को यह महारत हासिल है। उनकी गैर मौजूदगी में भारतीय गेंदबाजी आक्रमण की धार निश्चित रूप से कम हुई है, लेकिन मोहम्मद शमी, भुवनेश्वर कुमार और अर्शदीप सिंह में भी काफी क्षमता है।
भुवनेश्वर और अर्शदीप सिंह गेंद को दोनों ओर काफी अच्छी तरीके से स्विंग करा सकते हैं। ऐसे में पावर प्ले के छह ओवरों में इनकी भूमिका महत्वपूर्ण रहेगी। शुरुआत के ओवरों में जब गेंद स्विंग कर रही हो, तो इसे लेंग्थ पर डालना ठीक होगा, क्योंकि इससे विकेट मिलने की उम्मीद बढ़ेगी। शॉर्टपिच या बाउंसर फेकने की कोशिश महंगी पड़ सकती है।
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