आर. संजय
दुनिया दक्षिण अफ्रीकी टीम को चोकर कहती है, क्योंकि यह टीम 1992 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी के बाद से 1999 के राष्ट्रमंडल खेल को छोड़ दें तो कोई महत्वपूर्ण टूर्नामेंट नहीं जीत सकी है। यह दीगर है कि इस टीम के पास दुनिया के बेहतरीन खिलाड़ी रहे हैं, पर अहम मौकों पर इसने मैच गंवाए। अब हम अपनी भारतीय टीम को क्या कहें। आज हर भारतीय प्रशंसक जो इस मैच के शुरू होने के पहले तक खिलाड़ियों पर जान छिड़क रहा था, मैच के परिणाम से बुरी तरह स्तब्ध है।
पिछले दो साल के दौरान यह दूसरा मौका रहा जब टीम को 10 विकेट से हार झेलनी पड़ी। पिछले टी-20 विश्व कप में पाकिस्तान के हाथों भी भारतीय टीम का यही हाल हुआ था। तब सुपर 12 के मैच में 152 रन बनाने के बाद टीम इंडिया पाकिस्तान का एक भी विकेट नहीं गिरा सकी थी।
इंग्लैंड के खिलाफ सेमीफाइनल मैच जिस तरह से खेला गया, उससे कहीं भी यह नहीं लगा कि भारतीय टीम कोई योजना बनाकर मैदान में उतरी है। टॉस के बाद कप्तान रोहित शर्मा ने यही जानकारी दी कि दिनेश कार्तिक की जगह ऋषभ पंत को टीम में शामिल किया गया है।
टॉस जीतने के बाद जब अंग्रेज कप्तान जोस बटलर ने पहले फील्डिंग करने का फैसला किया तो काफी लोग हैरान हुए। क्योंकि इस मैदान के परिणामों के आंकड़े इससे उलट थे। विशेषज्ञ भी यही कहते रहे कि इस पिच पर 160 रन बना लेने वाली टीम के लिए जीत आसान हो जाएगी। तो गोया भारतीय बल्लेबाजों ने 15वें ओवर तक निराश करने के बाद आखिरकार 168 रन बना लिए। फिर क्या गलती हो गई।
क्यों मैच निकल गया हाथ से
गलती तो हुई। सबसे पहली गलती यह रही कि भारतीय गेंदबाजी में विविधता नहीं दिखी। दूसरे पावर प्ले के दौरान जब अंग्रेज बल्लेबाजों ने 63 रन ठोक दिये तो कोई “प्लान बी” नहीं दिखा। अक्षर पटेल को चौथे ओवर में तब गेंदबाजी दी गई जब अंग्रेज बल्लेबाज बटलर और एलेक्स हेल्स पूरी रौ में खेल रहे थे। सबको पता था कि पिच के स्क्वायर दोनों ओर बाउंडरी छोटी है, फिर भी शॉर्ट पिच गेंदें डालने से कोई गुरेज नहीं किया। गेंदों की लंबाई, दिशा और गति में परिवर्तन नहीं कर रहे थे। पहले दो ओवरों में भुवनेश्वर और अर्शदीप सिंह गेंदों को स्विंग नहीं करा पाए तो गेंदबाजी में विविधता का इस्तेमाल करना चाहिए था। भारतीय तेज गेंदबाज लगता है यॉर्कर पर भरोसा नहीं करते, या फिर ऐसी गेंद फेकने में झिझकते हैं।
युज्वेंद्र चहल का इस्तेमाल नहीं करने पर सवाल
क्रिकेट प्रशंसक इस बात पर बड़े सवाल खड़े कर रहे हैं कि आखिर युज्वेंद्र चहल को क्यों लगातार डग आउट में बैठाए रखा गया। इंग्लैंड के पास मोइन अली के रूप में बाएं हाथ का स्पिनर था, लेकिन उस टीम ने दो लेग स्पिनर आदिल रशीद और लियाम लिविंग्स्टोन से गेंदबाजी कराई। रशीद ने चार ओवर में 20 रन खर्च करके एक विकेट लिया, जबकि लिविंग्स्टोन ने तीन ओवरों में 21 रन दिए। अक्षर ने चार ओवरों में 30 रन दिए पर सफल नहीं हो पाए। रविचंद्रन अश्विन भी दो ओवर में 27 रन खर्च कर गए।
अर्शदीप को क्यों नहीं गेंदबाजी दी
सवाल यह भी है कि मध्य ओवरों में जब सभी गेंदबाज पिट रहे थे, तो अर्शदीप सिंह से गेंदबाजी क्यों नहीं कराई गई। अर्शदीप ने दो ओवरों में 15 रन दिए। इसके बाद उन्हें गेंद नहीं थमाई गई। मोहम्मद शमी ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अभ्यास मैच में अपनी यार्कर गेंदों का जलवा देखने के बावजूद इस महत्वपूर्ण मैच में इस अस्त्र का इस्तेमाल करते नहीं दिखे। उन्होंने भी तीन ओवर में 39 रन लुटा दिए।
फोटो- सौजन्य गूगल