वाराणसी। बीएचयू के कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन ने कहा है कि भारत के संस्थानों को अंतरराष्ट्रीय स्तर की शिक्षा व्यवस्था कायम करनी चाहिए। इनसे ऐसे छात्र निकलें जो वैश्विक प्रतिस्पर्धा में खुद को स्थापित करने में सक्षम हों।
सिगरा स्थित रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में आयोजित अखिल भारतीय शिक्षा समागम के तीसरे दिन शनिवार को तकनीकी सत्र “शिक्षा का वैश्वीकरण” की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थानों को दृढ़ इच्छाशक्ति दिखाते हुए लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ना होगा। अगर हमें अपने परिसरों में विदेशी छात्र और शिक्षकों को लाना है तो सर्वश्रेष्ठ तरीका अपनाना होगा। उन्हें भरोसा दिलाना होगा कि उनके लिए परिसर में अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं मौजूद हैं। अपनी नीतियों में सुधार करना होगा। प्रो. जैन ने कहा कि इस सत्र में काफी अच्छे सुझाव आए हैं, जिनपर अमल किया जा सकता है।
सिम्बॉयसिस, पुणे की प्रो. चांसलर प्रो. विद्या येरावेदकर ने कहा कि ऑनलाइन शिक्षा को अपनाकर हम ज्यादा से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय छात्रों और शिक्षकों को जोड़ सकते हैं। उन्होंने पाठ्यक्रम में और सुधार करने की जरूरत पर बल दिया।
ओपी जिंदल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सी.राजकुमार ने आंकड़ों के आधार पर बताया कि कितने देशों में कितने अंतरराषट्रीय छात्र पंजीकृत हैं और भारत कैसे इस सूची में पिछड़ रहा है। उन्होंने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शिक्षा के वैश्वीकरण के लिए किये गए प्रावधानों को रेखांकित किया। पंजाब के चितकारा विश्वविद्यालय की वाइसचांसलर डॉ. अर्चना मंत्री ने बताया कि उनके विश्वविद्यालय में ग्लोबल वीक का आयोजन किया जाता है।