वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के शिक्षा शास्त्र विभाग में आयोजित व्याख्यानमाला में विशिष्ट वक्ता प्रो. निमिषा गुप्ता ने कहा कि शोध अभिकल्प से शोध की सीमा और कार्य क्षेत्र परिभाषित होता है। यह शोध प्रक्रिया में त्रुटियों को कम करने में मदद करता है। पूर्वाग्रह को कम करने में मदद करता है। एक शोध अभिकल्प के प्रयोग से सटीक और विश्वसनीय परिणाम प्राप्त किये जा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि शोध अभिकल्प शोध योजना, संरचना एवं व्यूहरचना है, जिसकी कल्पना इस प्रकार की जाती है कि शोध के प्रश्नों के उत्तर प्राप्त हो सकें तथा प्रसरण को नियन्त्रित किया जा सके। इस प्रकार यह योजना शोध की पूर्ण रूपरेखा या उसका कार्यक्रम है, जिसमें प्रत्येक वस्तु की रूपरेखा सम्मिलित होती है तथा जिसको शोधकर्ता परिकल्पनाओं के निर्माण एवं उनसे सम्बन्धित अभिप्राय से लेकर तथ्यों के अन्तिम विश्लेषण तक संरचित करता है।
मुख्य वक्ता का स्वागत विभागाध्यक्ष डॉ. शैलेंद्र वर्मा ने किया। संचालन पूनम कुमारी ने तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. वीणा वादिनी ने किया। इस संगोष्ठी मे डॉ. अभिलाषा, डॉ. दिनेश कुमार, डॉ. रमेश, डॉ. राजेंद्र यादव, डॉ. ज्योत्सना राय, शालिनी, ज्योति, शिखा राय, तूलिका रोहिणी, उममूल फातिमी, नैना चौरसिया, कृष्णकांत, अरविंद, सन्तोष, दीपक, नेहा, काजल, अर्चना, बाबू लाल, रणधीर, सुधीर, बृजेश,अमृतान्शू, प्रतिभा, महेश, प्रज्ञा, देवेन्द्र, अलका यादव, तूलिका, रविशंकर, गुलशन समेत सभी विद्यार्थी उपस्थित थे। यह जानकारी विवि के सूचना एवं जन संपर्क अधिकारी डॉ नवरत्न सिंह ने दी।