वाराणसी। “योगासन और व्यायाम के बीच मूलभूत अंतर यह है कि आसन से ऊर्जा की प्राप्ति होती है और व्यायाम में हमें ऊर्जा के हानि के साथ थकान की अनुभूति होती है। अतः योगासन हम शारीरिक एवं मानसिक ऊर्जा की प्राप्ति के लिए करते हैं और व्यायाम में शारीरिक स्वास्थ्य प्राप्ति की धारणा होती है।”
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में चल रहे योग महोत्सव के तहत बुधवार को शारीरिक शिक्षा विभागाध्यक्ष प्रो. सुशील कुमार गौतम ने ये बातें कहीं। पावर योग पर चर्चा करते हुए उन्होंन कहा कि “हालांकि यह भारतीय पद्धति नहीं है एक प्रकार से हठयोग के वैकल्पिक स्वरुप के रूप में देखा जा रहा है। इसका प्रदुर्भाव विदेशों में हुआ यह पद्धति भाग दौड़ भरी दिनचर्या वाले लोगों के लिए फायदे मंद साबित हो रहा है। सन 1990 में इसके विषय में पहली बार परिचित कराया गया जो वर्तमान समय में “जिम योगा” के नाम से जाना जाता है। इसमें योगिक आसनों को व्यायाम के रूप में गति के साथ लयबद्ध तरीके से कराए जाते हैं। इससे बहुत कम समय में ही हम शारीरिक गतिविधियों के संचालन के लिए आवश्यक स्फूर्ति प्राप्त कर लेते हैं, जो पूरे दिन हमारे कार्य संचालन में सहायक होते हैं।”
प्रशिक्षण कार्यक्रम में रमेश कुमार यादव ने सूर्य नमस्कार व अन्य आसनों का अभ्यास कराया। डॉ. कुंदन सिंह, डॉ. बालरूप यादव, डॉ. सुनीता, डॉ. चंद्रमणि, डॉ. सुनील कुमार यादव, निशा यादव, भूपेंद्र कुमार उपाध्याय, प्रताप शंकर दुबे एवं पूजा सोनकर का सहयोग रहा। विश्वविधालय परिवार के डॉ. राधेश्याम राय, जयशंकर प्रसाद सिंह, अंजनी कुमार, लालता प्रसाद, दिग्विजय, अशोक उपाध्याय, प्रतिमा सिंह उपस्थित रहे।