वाराणसी। सिर्फ सकारात्मक सोचने से ही नहीं बल्कि सकारात्मक करने से काम आसान होते हैं। यह बात डिपार्टमेंट ऑफ कम्युनिटी एंड फैमिली मेडिसिन एम्स के प्रमुख डॉ. संतोष कुमार ने कॉन्फ्रेंस हॉल में छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कही।
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ विश्वविद्यालय में बेस्ट प्रैक्टिसेज की तहत हेल्थ वेलनेस कार्यक्रम युवा जोश कार्यशाला के प्रथम दिन डॉ. कुमार ने कहा कि जिस दिन हमारी जिंदगी में ना शब्द आ जाए तो हमें मान लेना चाहिए कि हमारी आधी ऊर्जा समाप्त हो चुकी है। इसीलिए हमें हमेशा हां कहना सीखना होगा और हमें यस आई कैन डूब के सिद्धांत पर कार्य करना होगा। उन्होंने कहा कि किसी भी कार्य को करने या बोलने से पहले सोच विचार जरूर कर लेना चाहिए।
उन्होंने इस दौर में नवयुवकों द्वारा आत्महत्या द्वारा करने पर भी विस्तार से चर्चा की और कहा कि बेवजह आनंद की अनुभूति हमें निराशा की तरफ लेकर जाती है और आत्महत्या का सबसे बड़ा कारण गलतफहमी ही होता है। इसके अतिरिक्त उन्होंने तनाव तथा नशा मुक्ति पर भी छात्र छात्राओं से अपने विचार साझा किए। छात्रों के द्वारा आयोजित कार्यक्रम पर अपनी राय व्यक्त की जिसमें उनके द्वारा इस तरह के और भी कार्यक्रम कराने की मांग की गई।
कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आनंद कुमार त्यागी ने की। उन्होंने कहा कि आज कोटा राजस्थान में आत्महत्या का आंकड़ा इसलिए बढ़ रहा है कि छात्र छात्राएं दबाव को झेल नहीं पाते और मानवीय मूल्यों को अपने जीवन में नहीं अपनाते हैं। विश्वविद्यालय की कुलानुशासक प्रो. अमिता सिंह, विभागाध्यक्ष शिक्षा शास्त्र प्रो. शैलेंद्र कुमार वर्मा ने भी अपने विचार रखे तथा कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन विश्वविद्यालय के पीआरओ तथा एक्टिविटी क्लब के क्लब इंचार्ज डॉ. नवरत्न सिंह ने किया। इस अवसर पर एक्टिविटी क्लब के क्लब हेड राणा अंशुमान सिंह तथा कोहेड अश्वनी कुमार प्रिया राय प्रमोद मौर्या बृहस्पति राज पांडे तथा पंकज यादव आदि की सक्रिय भूमिका रही।