वाराणसी। भारत की आजादी के लिए चलाए गए आंदोलनों में असम की महिलाओं की काफी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। हालांकि इन महिलाओं को इतिहास में उचित सम्मान नहीं मिला।

महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में सोमवार को एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार में यह बात मुख्य वक्ता राजस्थान के बीकानेर स्थित महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति प्रो. चंद्रकला पाडिया ने कही। उन्होंने 1857 की क्रांति से लेकर 1847 में आजादी मिलने तक राष्ट्रीय आंदोलनों में महिलाओं की भूमिका पर चर्चा की।
“भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में महिलाओं की भूमिका” विष पर आयोजित वेबिनार में विशिष्ट वक्ता विद्यापीठ के राजनीति विज्ञान विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो .सतीश कुमार ने विशेषकर राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान गांधी युग में महिलाओं की सक्रियता और गांधी के रचनात्मक कार्यक्रम में महिलाओं की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कस्तूरबा गांधी, अरुणा आसफ अली, सरोजनी नायडू, कमला नेहरू, विजयलक्ष्मी पण्डित के योगदान की प्रमुखता से चर्चा की।
कार्यक्रम के संरक्षक कुलपति, प्रो .आनंद कुमार त्यागी ने अध्यक्षता की। अतिथियों का स्वागत राजनीति विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ.सूर्यभान प्रसाद ने किया तथा संचालन संयोजक डॉ.ज्योति सिंह एवं धन्यवाद ज्ञापन आयोजन सचिव डॉ विजय कुमार ने किया। वेबिनार में प्रो . मोहम्मद आरिफ, डॉ. रेशम लाल, डॉ. रवि प्रकाश सिंह, डॉ. पीयूष मणि त्रिपाठी, डॉ. जयदेव पांडेय, डॉ मिथिलेश कुमार गौतम, डॉ. निधि सिंह , डॉ. सुमन, डॉ निशा, शोध अधेयता, परास्नातक और स्नातक के छात्र एवं छात्राएं जुड़े रहे.