वाराणसी। वर्तमान समय में महिलाओं को आत्मनिर्भर होना पड़ेगा। आत्मिर्भरता ही वह ताकत है, जिससे महिलाओं पर हो रही हिंसा को रोका जा सकता है। स्त्री-पुरुष सभी को मिलकर परिवार एवं समाज में महिला उत्पीड़न को रोकने का प्रयास करना चाहिए। आज के समय में सरकारें भी इस दिशा में अनेक कदम सख्ती से उठा रही हैं। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के महिला यौन उत्पीड़न प्रतिषेध समिति की ओर से शुक्रवार को ‘महिला हिंसा की रोकथाम एवं सुरक्षा’ विषयक एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में उक्त बातें अतिथि एसीपी काशी जोन शिवा सिंह ने कहीं।
उन्होंने कहा कि महिलाएं अपने ऊपर हो रही शारीरिक एवं मानसिक हिंसा को छिपाएं नहीं, बल्कि उसके खिलाफ़ कानूनी एवं प्रशासनिक कार्यवाही के लिए आगे आएं, जिससे उनकी समस्याओं का निराकर किया जा सके।

मुख्य वक्ता विद्यापीठ की कुलानुशासक एवं समिति की अध्यक्ष प्रो. अमिता सिंह ने कहा कि महिला शक्तिस्वरूपा हैं। भारतीय नारी कभी भी न कमजोर थी, न हैं और न रहेंगी। उन्होंने रामचरित मानस, रामायण और महाभारत के उद्धरणों/प्रसंगों द्वारा महिला सशक्तिकरण की पुरजोर वकालत की तथा यह भी कहा कि शिक्षा के द्वारा ही महिलाओं पर हो रहे मानसिक एवं शारीरिक हिंसा को रोका जा सकता है। उन्होंने महिला यौन उत्पीड़न प्रतिषेध समिति के गठन एवं संचालन पर विस्तार से चर्चा करते हुए भौरी देवी के ऊपर हुए अत्याचार को रेखांकित किया, साथ ही अपने बताया कि कमेटी लिंग के आधार पर हो रहे भेद-भाव के खिलाफ महिलाओं की सुरक्षा एवं जागरूकता के लिए कार्य कर रही है।
संगोष्ठी को कुलसचिव हरीश चंद एवं छात्र कल्याण संकायाध्यक्ष डॉ. केके सिंह ने भी सम्बोधित किया। इस संगोष्ठी में काजल, आशीष, अनुभव, शुभम आदि छात्रों ने भी विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का संचालन डॉ. नीरज धनकड़ एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. सुरेंद्र प्रताप सिंह ने किया।समाज विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो. बृजेश कुमार सिंह, प्रो. पीताम्बर दास, डॉ. अनिता, डॉ. अंजना वर्मा, डॉ. जया कुमारी आर्यन, डॉ. राकेश कुमार मिश्र, डॉ. प्रीति शारदा, हेमन्त मिश्रा, शोध छात्र अंकित, बलिराम, अभिषेक, अरुणदेव, अमित, शिवशंकर, आकाश, मनीष, प्रवीण, प्रियंका, अभिजीत, राघवेन्द्र, के साथ भारी संख्या में छात्र एवं छात्राएं उपस्थित रहे।