वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के मनोविज्ञान विभाग की ओर से ट्रांजेक्शनल एनालिसिस पर मंगलवार को एक-दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया l कार्यशाला में बीएचयू के मनोविज्ञान विभाग से आमंत्रित विशेषज्ञ प्रो. पूर्णिमा अवस्थी ने बताया कि वर्तमान समय में ट्रांजेक्नशल एनालिसिस आधुनिक मनोविज्ञान के एक महत्त्वपूर्ण एवं सबसे ज़्यादा उपयोगी सिद्दांत के रूप में स्थापित हो चूका हैl इसे व्यक्तिगत विकास एवं सकारात्मक परिवर्तन को बढ़ावा देने तथा व्यक्ति को उसके जीवन के सभी क्षेत्रों में चरमोत्कर्ष तक ले जाने हेतु निर्मित किया गया हैl
उन्होंने कहा कि टी.ए. हमारे व्यक्तित्त्व को तीन ईगो-अवस्थाओं में विभाजित करता है – पैरेंट, एडल्ट एवं चाइल्ड ईगो-अवस्थाएंl साथ ही हमारे एवं अन्य लोगों में संबंधों को चार जीवन स्थितियों में परिभाषित करता है – मैं ठीक हूँ-तुम ठीक हो; मैं ठीक नहीं हूँ-तुम ठीक हो; मैं ठीक हूँ-तुम ठीक नहीं हो; और मैं ठीक नहीं हूँ-तुम ठीक नहीं होl इनमें सबसे प्रथम जीवन स्थिति “मैं ठीक हूँ-तुम ठीक हो” जीवन कि वास्तविक स्थितियों से निपटने में एक सकारात्मक दृष्टिकोण देती है l ऐसा व्यक्ति परिपक्व होता है तथा दूसरों के साथ व्यवहार करते समय सहज होता है l इस स्थिथि में रहने वाले नेतृत्त्व के पदों का आनंद ले पाते हैं एवं सार्थक पारस्परिक संबंधों को विकसित करने तथा उसे बनाये रखने में सक्षम होते हैं l
टी.ए. का प्रयोग चिकित्सा, संचार, सम्प्रेषण, शिक्षा एवं व्यवसाय प्रबंधन आदि क्षेत्रों में निरंतर किया जा रहा है l अध्ययन बताते हैं कि टी. ए. का प्रयोग काउंसलर एवं मनोवैज्ञानिकों द्वारा संवेगात्मक एवं संबंधों में उत्पन्न समस्याओं के निदान हेतु किया जा रहा है l अन्यथा यही समस्याएं गंभीर बीमारियों का रूप ले सकती हैं l शिक्षा के क्षेत्र में टी. ए. का उपयोग विद्यार्थियों के दैनंदिन जीवन में शैक्षिक अवधारणाओं तथा दर्शन को समाहित करने हेतु किया जा रहा है l
कार्यक्रम की अध्यक्षता मनोविज्ञान विभाग की अध्यक्षा डॉ. रश्मि सिंह ने की l संचालन आयोजन सचिव डॉ. मुकेश कुमार पंथ, विशेषज्ञ का परिचय डॉ. दुर्गेश कुमार उपाध्याय, एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. पूर्णिमा श्रीवास्तव ने किया।