वाराणसी। महा्मा गांधी काशी विद्यापीठ के मंचकला संकाय मे सोमवार को सोदाहरण व्याख्यान कार्यक्रम के तहत “ध्रुपद गायन शैली के विविध आयाम” पर व्याख्यान हुआ। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के संगीत विभाग के आचार्य और डागर घराने के कलाकार डॉ. विशाल जैन ने विद्यार्थियों को घराने की विशेषताओं के बारे में जानकारी दी।
डॉ. जैन ने बताया कि इस गायकी में आलाप, जोड़, झाला, पद के बाद विभिन्न लयकारियों में बढ़त करते हैं। उन्होंने ध्रुपद की मुख्य छः तालों पर चर्चा करते हुए विद्यार्थियों को बताया डागर घराने के लगभग 80 सादरा सीखे है। इनमें अत्यधिक सादरा सहारनपुर के अब्बन खां के हैं। तत्पश्चात राग छायानट में सादरा “कृपा करो भोलानाथ शंभू” से प्रशिक्षित किया। इसी क्रम में राग तोड़ी चारताल में निबद्ध ध्रुपद की बंदिश “तोड़ी रागिनी अलापत गावत बीन बजावत” से विस्तार किया इसके बाद राग जोग सुलताल में निबद्ध ध्रुपद “वेद सुनावत जो सब गुणीजन” गाया। तबले पर संगत सुमंत कुमार ने किया। उन्होंने कहा कि आप युवाओं पर इस लुप्त होती परंपरा को संरक्षित करने का दारोमदार है।
अध्यक्षता कर रहीं विभाग की प्रभारी डॉ.संगीता घोष ने मुख्य अतिथि का माल्यार्पण एवं अंगवस्त्रम से स्वागत किया । उन्होंने मुख्य अतिथि व उपस्थित लोगों के प्रति आभार भी जताया। संचालन डॉ. आकांक्षी ने किया।