वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के हिन्दी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग में शोध- व्याख्यानमाला शृंखला के तहत ‘लोक में राम’ विषय पर एकल व्याख्यान कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ के हिन्दी विभाग के प्रो. सर्वेश कुमार सिंह मुख्य वक्ता रहे।
प्रो. सर्वेश कुमार सिंह ने रामकथा में लोक के विविध प्रसंगों पर सम्यक चर्चा की। उन्होंने कहा- “रामकथा की असली कहानी यमुना पार से शुरू होती है, जो अयोद्धा की चौहद्दी के बाहर वह स्थल है, जहां लोक निवास करता है। राम वनगमन के परिप्रेक्ष्य में लोकमन में उमड़े प्रश्न लोक का पक्ष मजबूत करते हैं। राम का वास्तविक निर्माण लोक ने किया है। रामचरितमानस हिन्दी साहित्य का नाभिक है, जहां से साहित्यिक संस्कार प्रस्फुटित होते हैं। नये जीवन दर्शन की तलाश ही रामचरितमानस का मूल है।”
वक्तव्य के बाद प्रश्नोत्तर सत्र में प्रो. सिंह ने शोध छात्रों रामकरन कुशवाहा, आरती तिवारी, हनुमान राव, प्रज्ञा पाण्डेय, मृगांक मणि मिश्र आदि के प्रश्नों का उपस्थित अतिथि एवं विभाग के आचार्यों ने सोदाहरण समाधान किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विभागाध्यक्ष प्रो. निरंजन सहाय ने अतिथि वक्ता के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा- “हमारे समाज में विभिन्न मत हैं, विभिन्न अभिव्यक्तियां हैं, जिनके सार्थक सन्दर्भों को आत्मसात करना चाहिए। राम एक आदर्श चरित्र हैं, जिनका सांस्कृतिक स्वरूप लोक द्वारा ही निर्मित है। जो कुछ लोक सम्मत है वही अंगीकृत किये जाने की आवश्यकता है।”
इस दौरान मानविकी संकायाध्यक्ष प्रो. अनुराग कुमार, हिन्दी विभाग के प्रो. रामश्रय सिंह, डॉ. विजय रंजन एवं शोध छात्र उज्ज्वल सिंह, प्रज्ञा पाण्डेय, मनीष यादव, शिवशंकर यादव, सुरभि सिंह, स्तुति राय, जनमेजय, शुभम् श्रीवास्तव, रोहित सिंह, अंशु राय आदि उपस्थित रहे।