वाराणसी। व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक विकास में संगीत की अहम भूमिका है। संगीत भाव, रस, अनुभूति और रंग का संगम है। एक माता जब अपने बच्चे को स्तनपान कराती हैं तो उसके मन में उत्पन्न होने वाले ममतामई भावनाओं का बच्चे पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में महिला सशक्तिकरण प्रकोष्ठ की ओर से आयोजित विश्व स्तनपान सप्ताह के चौथे दिन गुरुवार को ‘मनुष्य के जीवन में प्रथम 1000 दिनों का महत्व’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में यह बात मुख्य वक्ता ललित कला विभागाध्यक्ष डॉ. संगीता घोष ने कही। उन्होंने कहा कि माता पिता एवं संतान के बीच आत्मीय संबंधों के संवर्धन एवं सकारात्मक समाज एवं राष्ट्र के निर्माण में सक्रिय सहभागिता निभाने वाले व्यक्तित्व के निर्माण में स्तनपान का बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान होता है। स्तनपान न केवल बच्चे का पोषण एवं उसकी भूख को मिटाने का माध्यम है बल्कि यह उसे एक भावनात्मक व सुरक्षात्मक संबल भी प्रदान करता है।
विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय सेवा योजना के समन्वयक डॉक्टर केके सिंह ने बताया कि वह व्यक्ति जो बचपन में अपनी मां के साए में पोषित पल्लवित होता है, वह बड़ा होकर समाज में सकारात्मक भूमिका का निर्वहन करता है और सफलतापूर्वक अपने जिम्मेदारियों को पूर्ण करता है। इस मौके पर छात्र-छात्राओं ने दिये गए विषय पर आधारित रंगोली बनाई। मुख्य अतिथि का स्वागत महिला सशक्तिकरण प्रकोष्ठ की नोडल अधिकारी डॉ. निशा सिंह ने किया। संचालन प्रज्ञा राय ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. किरण सिंह ने किया। कार्यक्रम में डॉ. संगीता घोष , डॉ. विजय रंजन, डॉ. किरन सिंह ,डॉ नंदिनी सिंह, डॉ. नीरज धनकड़ आदि उपस्थित रहे।