वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो. आनंद कुमार त्यागी ने कहा है कि पुरातन छात्र हमेशा किसी संस्थान की आशा की किरण होते हैं। वे अपने विभाग की सीमाओं को दुरुस्त करते हैं।
हिन्दी विभाग की ओर से आयोजित “विद्यापीठ की विरासत” विषयक पुराछात्र सम्मेलन में कुलपति ने कहा कि भाषा और साहित्य की वह विरासत, जिसकी शुरुआत हिन्दी तथा आधुनिक भाषा विभाग से हुई, उसने बहुविस्तृत और अकादमिक रूप से समस्त बलिष्ठों को तैयार किया। यह बल भाषाओं के साहचर्य का था। संस्कृतियों के समागम का था। साहित्यकारों के सपनों को मूर्तरूप देने का था। यह पूर्व आचार्यों की स्मृतियों को विस्तृत करने से बना।
विभागाध्यक्ष प्रो. निरंजन सहाय ने गांधी और प्रेमचंद की भाषा नीति को याद किया और कहा कि वह संस्कृति हमें जोड़ना और प्यार करना सिखाती है। हैदराबाद के प्रो. जाहिद ने कहा कि हमारे निर्माण में संस्थाओं का सर्वश्रेष्ठ योगदान होता है। हमारे व्यक्तित्व में इनका अक्स झलकता है।
कार्यक्रम का संयोजन डॉ. राजमुनी और डॉ. रामाश्रय सिंह थे। पुरातन छात्रों ने अपने अनुभव सुनाए। कार्यक्रम में डॉ. सुरेंद्र प्रताप सिंह, डॉ. उषा भारती, डॉ. जेपी यादव, डॉ. अजीत धुसिया, डॉ. शशि, डॉ. प्रियंका, काजल, प्रदीप जैन, आकाशदीप मौजूद रहे।