वाराणसी। दिव्यांगों को सहानुभूति से अधिक तदनुभूति की आवश्यकता है। हमें दिव्यांग विद्यार्थियों के प्रति सकारात्मक भाव रखना चाहिए। यह बात प्रो. भावना सिंह ने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के दिव्यांग जन प्रकोष्ठ की ओर से आयोजित वेबिनार में प्रो. भावना वर्मा ने कही।

अध्यक्षता करते हुए प्रो शैलेंद्र वर्मा ने कहा कि डाउन सिंड्रोम एक आनुवंशिक बीमारी है, जिसमे गुणसूत्र की संख्या 46 के स्थान पर 47 हो जाती है, जिससे विभिन्न प्रकार की विकृतियां बच्चो मे हो जाती हैं। इसके कारण उनका शारीरिक और मानसिक विकास प्रभावित हो जाता है। इस बीमारी से ग्रसित विद्यार्थियों के माता-पिता को भी सामाजिक साथ व सहयोग की महती आवश्यकता है।
प्रो वर्मा ने कहा कि हमें अपने दिव्यांग विद्यार्थियों को उनके विशिष्ट रूप में स्वीकारना पड़ेगा। डाउन सिंड्रोम से पीड़ित विद्यार्थियों को शारीरिक व मानसिक सहयोग देना हम सबका प्रथम कर्तव्य है। सभी दिव्यांगों को अपना अंग मानने की आवश्यकता है। जब तक हम उन्हें अपना अंग नहीं मानेंगे, तब तक उनके साथ न्याय नहीं होगा।
अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो राजीव कुमार ने कहा कि आज के दौर में दिव्यांगजनों को समावेशन कि आवश्यकता है। हम सभी को उन्हें अपने से अलग नही करना चाहिये, बल्कि उनके प्रति सहयोग का भाव रखना चाहिये।
अतिथियों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम के संयोजक डॉ. गंगाधर ने यह आह्वान किया कि विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस के अवसर पर यह प्रतिज्ञा ली जानी चाहिए कि प्रत्येक शिक्षक अपने प्रत्येक दिव्यांग विद्यार्थी के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाते हुए उनके विकास के लिए हर संभव प्रयास करेगा। रामप्रकाश, नैन्सी व आयुषी, श्वेता, धर्मेंद्र आदि विद्यार्थियों ने भी इस अवसर पर विचार प्रस्तुत किये. कार्यक्रम का संचालन डॉ. गंगाधर ने तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. उर्जस्विता सिंह ने किया।.कार्यक्रम मे प्रो राजीव कुमार, डॉ शशिबाला, डॉ. पारिजात सौरभ, समेत सभी शिक्षक व विद्यार्थी उपस्थित थे।