वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के अंग्रेजी एवं अन्य विदेशी भाषा विभाग में आयोजित इंडक्शन प्रोग्राम में गुरुवार को छात्रों को शोध करने के सही और सरल तरीकों की जानकारी दी गई।
प्रथम वक्ता विभाग की डॉ. कविता आर्य ने ‘टोनी मॉरीसन के उपन्यासों की प्रासंगिकता’ विषय पर व्याख्यान दिया | उन्होंने उपन्यासों के माध्यम से नस्लीय व सामाजिक भेदभाव की बात की और उसे भारतीय परिपेक्ष में जातिगत भेदभाव से जोड़ते हुए वर्तमान सामाजिक पृष्ठभूमि में उसकी प्रासंगिकता को स्पष्ट करने का प्रयास किया।
दूसरा व्याख्यान डॉ. किरन सिंह ने शोध के तात्पर्य, ऑब्जेक्टिव, विशेषताओं, रिसर्च के प्रकार, रिसर्च प्रोसेस एवं विभिन्न रिसर्च एप्रोचेज को स्पष्ट करने का प्रयास किया | तीसरी वक्ता मिर्जापुर के जीडी बिनानी पीजी कॉलेज के अंग्रेजी विभाग की डॉ. आत्रेयी आद्या चटर्जी ने ‘रिसर्च मेथाडोलॉजी एंड द मैकेनिज्म ऑफ राइटिंग’ पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने रिसर्च मेथाडोलॉजी के तात्पर्य, उसके विभिन्न तत्वों जैसे रिसर्च क्वेश्चन, हाइपोथेसिस, पापुलेशन, सैंपल, रिजल्ट और आउटकम्स को अपने वक्तव्य में समाहित करते हुए रिसर्च संपादित करने के विभिन्न चरणों की भी बात की।
अध्यक्षीय उद्बोधन में विभागाध्यक्ष प्रो. एनएस कामिल ने कहा कि किसी भी विषय-वस्तु तथा सिद्धांत को समझने के लिए अधिक से अधिक स्वाध्याय की आवश्यकता है क्योंकि इसी के माध्यम से हम टेक्स्ट और कान्टेक्स्ट को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं।
कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं अतिथियों के स्वागत के साथ हुआ। संचालन डॉ. रीना चटर्जी तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. आरती विश्वकर्मा ने किया। कार्यक्रम में डॉ. नवरत्न सिंह, डॉ. नीरज कुमार सोनकर, शोधार्थी एवं परास्नातक कक्षाओं के विद्यार्थी उपस्थित रहे।
आज की संगोष्ठी का संचालन शोधछात्र मुनाजिर एवं धन्यवाद ज्ञापन शोधछात्र वेदप्रकाश ने किया। संगोष्ठी में समाज कार्य विभाग के शिक्षक, सभी पाठ्यक्रमों के विद्यार्थी एवं शोधछात्र उपस्थित रहे।