वाराणसी। बीएचयू के प्रबंध शास्त्र संस्थान के डीन प्रो. एचपी माथुर ने कहा कि पूर्व में हुआ स्वदेशी आन्दोलन आत्मनिर्भर भारत का एक महत्वपूर्ण भाग था। उन्होंने कहा कि 1947 में शुरू हुई पंचवर्षीय योजना का उद्देश्य धीरे-धीरे आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना था।
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के वाणिज्य विभाग में G-20 सम्मेलन के प्रचार-प्रसार के परिपेक्ष्य में आयोजित ’’आत्मनिर्भर भारत अभियान’’ विषयक गोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि प्रो. माथुर ने कहा कि 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गयी मेक इन इण्डिया योजना आत्मनिर्भर भारत योजना का एक अप्रत्यक्ष रूप था।
अतिथियों का स्वागत एवं विषय प्रवर्तन करते हुए प्रो. कृपाशंकर जायसवाल ने कहा कि आवश्यकता आविष्कार की जननी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोविड जैसी महामारी के समय समस्याओं को अवसर के रूप में लेते हुए 12 मई, 2020 को आत्मनिर्भर भारत अभियान की शुरुआत की, जिसका मकसद भारत को आत्मनिर्भर बनाना है। उन्होंने कहा कि जब देश का प्रत्येक नागरिक सहयोग करता है तभी कोई राष्ट्र मजबूत व आत्मनिर्भर बनता है।
पूर्व वाणिज्य विभागाध्यक्ष प्रो. सुधीर कुमार शुक्ल ने कहा कि स्वतंत्र एवं परतंत्र दोनो विपरीत शब्द होते हैं। स्वतंत्र व्यक्ति सुखी एवं परतंत्र व्यक्ति दुःखी होता है। उन्होेंने कहा कि यदि किसी राष्ट्र के नागरिक आत्मनिर्भर बन जाय तो राष्ट्र स्वयं ही आत्मनिर्भर बन जायेगा। हमारे देश की जीडीपी का दस प्रतिशत (बीस लाख करोड़) आत्मनिर्भर योजना को आवंटित किया गया है।
वाणिज्य संकायाध्यक्ष प्रो. अशोक कुमार मिश्र ने कहा कि किसी भी देश की आत्मनिर्भरता केवल आयात-निर्यात तक ही सीमित नहीं होती, बल्कि उस देश की निर्णय लेने की क्षमता को भी दर्शाता है। उन्होंने कहा कि आटो मोबाइल सेक्टर में भारत ने जापान को पीछे छोड़ते हुए विश्व में तीसरा स्थान हासिल किया।
इस कार्यक्रम का संचालन डाॅ. धनन्जय विश्वकर्मा व धन्यवाद ज्ञापन प्रो. अजीत कुमार शुक्ल ने किया। संयोजन वाणिज्य विभागाध्यक्ष प्रो.कृपाशंकर जायसवाल ने किया। इस कार्यक्रम में विभाग के पूर्व संकायाध्यक्ष एवं पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. कृष्ण कुमार अग्रवाल, एवं डाॅ. आयुष कुमार तथा समस्त शोध छात्र उपस्थित थे। इस कार्यक्रम में विभाग के सभी छात्र/छात्राओं ने भी अपने विचार प्रस्तुत किये।