वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो. आनंद कुमार त्यागी ने कहा है कि आज सतत विकास को अंतिम पायदान तक पहुंचाना होगा। वह राजनीति विज्ञान विभाग की ओर से जी-20 सम्मेलन के प्रचार-प्रसार के लिए शुक्रवार को आयोजित गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे थे।
प्रो. त्यागी ने कहा कि आज सरकार ने सभी को तकनीकी रूप से समृद्ध कर दिया है। हमारे ज्ञान विज्ञान के साथ संस्कृति को समृद्ध करते हुए समाज में प्रचारित करना है। G 20 के प्रेसीडेंसी का भारत में आना हमें यह अवसर प्रदान करता है कि हम इस माध्यम से अपनी संस्कृति के साथ लोकतांत्रिक माध्यम से सतत विकास को समाज के अंतिम पायदान तक पहुंचाएं। इसके साथ ही यह प्रदर्शित भी करना है कि जिसे सपेरों का देश कहा जाता था, वह आज विकास के हर क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
मुख्य अतिथि बीएचयू के राजनीति विज्ञान विभाग के प्रो. अमरनाथ मोहंती ने कहा कि लोकतंत्र और सतत विकास दोनों ही स्वतंत्र और मिश्रित हैं। लेकिन वर्तमान विश्व में दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। उन्होनें लोकतंत्र को व्याख्यायित करते हुए कहा कि लोकतंत्र अपने आप में अच्छा नहीं है। उन्होंने कहा कि अमर्त्य सेन का मानना है कि लोकतंत्र और विकास एक दूसरे को प्रेरित करते हैं। Dimos का उल्लेख करते हुए कहा कि इसका आशय स्व अधिकार से है जिसमें समानता, स्वतंत्रता, विकास, अधिकार और समावेशन इसके भाग हैं।
विशिष्ट अतिथि विद्यापीठ के समज विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो. ब्रजेश कुमार सिंह ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था केंद्र से लेकर ग्राम तक स्थापित हो चुकी है। लोकतंत्र को हम स्वतंत्र देश में अवलोकन करें तो विकास का माध्यम पंचवर्षीय योजनाएं थीं, किंतु वर्तमान में यह बेड़ा नीति आयोग द्वारा उठाया जा रहा है।
मुख्य वक्ता हरिश्चंद्र महाविद्यालय के प्रो. पंकज कुमार सिंह ने कहा कि सतत विकास के लक्ष्य लंबी अवधि के हैं और प्रतिनिध्यात्मक सरकार में चिरकालीन उपस्थित नही है। निर्वाचन चक्र में इन लक्ष्यों को पूरा नहीं कर पाती। प्रत्येक सरकार की अलग अलग नीतियां होती हैं। भू राजनीति में जब विश्व और पर्यावरणीय परिवर्तन की बात होती है तो लोकतंत्र भू राजनीति के परिधि में चक्रमण करता है। जिसमें अनेक समस्यायें हैं।
विभागाध्यक्ष प्रो. सूर्यभान प्रसाद ने अतिथियों का स्वागत किया। संगोष्ठी संयोजक डॉ. रेशम लाल ने विषय प्रस्तावना की। धन्यवाद संगोष्ठी सह संयोजक डॉ. रवि प्रकाश सिंह ने दिया। संगोष्ठी का संचालन डॉ. ज्योति सिंह ने किया।
संगोष्ठी में प्रो. मोहम्मद आरिफ, प्रो. सुभाष राम, प्रो. नरेंद्र गुप्ता, प्रो. शमीम राईन, डॉ. पंकज गौतम, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा, बिहार से डॉ. यादवेंद्र दुबे, डॉ. सोनम चौधरी, डॉ. राम प्रकाश सिंह यादव, डॉ. विजय कुमार, डॉ. पीयूष मणि त्रिपाठी, डॉ. जयदेव पाण्डेय, डॉ. संजय कुमार सहित शिक्षकों, स्नातक, स्नातकोत्तर एवं शोध छात्रों ने प्रतिभाग किया।