वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के विधि संकाय के स्मार्ट क्लास में “राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम उपाय” का आयोजन हुआ। इसमें यह विचार आया कि आत्महत्या जैसी प्रवृत्ति को रोकने के लिए बेहतर और स्वस्थ संवाद की जरूरत है।
बीएचयू के विधि संकाय के प्रो. जेपी राय ने आत्महत्या रोकथाम के विभिन्न विधिक पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि आत्महत्या सामाजिक बीमारी है। भारत में आत्महत्या कानून की प्रासंगिकता का उल्लेख करते हुए विभिन्न दृष्ट्रांतो का उल्लेख किया एवं विधिक सहायता की चर्चा की।
विद्यापीठ के मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो. रश्मि सिंह ने आत्महत्या एवं इसके रोकथाम हेतु विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि आत्महत्या करने वाले व्यक्ति की मनःस्थिति में परिवर्तन लाने के लिए संवाद एक बेहतर माध्यम हो सकता है। छोटी-छोटी बातें जो व्यक्ति में तनाव लाती हैं, उनका प्राथमिक स्तर पर ही समाधान निकाल लिया जाए तो आत्महत्या की रोकथाम हो सकती है।
बीएचयू के समाजशास्त्र विभाग की डॉ. अरुणा कुमारी ने गहन रूप से आत्महत्या के कारण एवं निवारण पर प्रकाश डाला। उन्होंने दुख के आत्महत्या के सिद्धान्त को बताते हुए नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के डेटा को भी प्रस्तुत किया। जिससे इसकी भयावहता का पता चलता है। उन्होंने सामाजिक संरचना में बिखराव को भी आत्महत्या का कारण माना है।
विधि संकायाध्यक्ष प्रो. रजन कुमार एवं विभाग की सहायक आचार्य डॉ. शिल्पी गुप्ता ने विषय विशेषज्ञों का स्वागत किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. हंसराज एवं संचालन डॉ. मेराज हाशमी ने किया। इस अवसर पर विधि विभाग के समस्त अध्यापकगण एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।