वाराणसी। बीएचयू के वाणिज्य विभाग के प्रो. एससी दास ने कहा कि एक अच्छे व गुणवत्ता युक्त जर्नल्स का एक अपना शिष्टाचार होता है और एक शोधार्थी के रूप में इन शिष्टाचार को ध्यान में रखकर ही अपना शोध पत्र लिखना चाहिए।
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के वाणिज्य एवं प्रबन्धशास्त्र संकाय भवन में “Research Methodology” विषयक कार्यशाला के सोमवार को समापन सत्र में वह मुख्य वक्ता रहे। अध्यक्षता करते हुए विद्यापीठ के कुलपति प्रो. आनंद कुमार त्यागी ने कहा कि मैं इस सप्त दिवसीय कार्यशाला में आकर अपने को बहुत ही सौभाग्यशाली महसूस कर रहा हूं एवं निश्चय ही इस कार्यशाला से भविष्य के शोधार्थीगण लाभान्वित हुए होंगे। शोध एक ऐसा विषय है जहां आप शोध के दौरान जिस भी व्यक्ति से जुड़ते हैं उनका योगदान स्वतः ही आपके शोध में जुड़ जाता है। इस कार्यशाला में विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने शोध के मूल पहलुओं को समझाया और साथ ही जीवन के वास्तविक समस्याओं एवं उनके उचित समाधान पर ध्यान केन्द्रित किया। शोध का मुख्य उद्देश्य केवल उपाधि प्राप्त करने से न होकर एक अच्छा इन्सान बनना भी होना चाहिए।
विशिष्ट अतिथि उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के प्रबंध शास्त्र विभाग के प्रो. आरसी मिश्रा ने कहा कि रिसर्च मेथेडोलाॅजी एक परिवर्तनशील विषय है, जिसका महत्व शोध में निरन्तर बढ़ता ही जा रहा है। अनुसंधान एक ज्ञान की विपाशा में आगे बढ़ने का कार्य और हम दुनिया के पहली सभ्यता में से हैं, जिसने उद्घोष किया है कि ज्ञान से ही मुक्ति है। इन्होंने महात्मा गांधी को एक आदर्श शोधार्थी के रूप में प्रतिष्ठित किया जिनकी तथ्यपरकता एवं निर्लिप्तता के कारण आज भी शोध क्षेत्र में इनका योगदान भुलाया नहीं जा सकता है।
मुख्य अतिथि मणिपुर केंद्रीय विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. आद्या प्रसाद पाण्डेय ने कहा कि एक शोधार्थी के रूप में आपका शोध की गहराई में उतरना आवश्यक है, जिससे आपके शोध को मौलिकता प्राप्त हो सके साथ ही आपके शीर्षक चुनाव में आधुनिक, सामाजिक समस्याओं का समागम निहित होना चाहिए।
अतिथियों का स्वागत एवं कार्यशाला का विषय प्रवर्तन वाणिज्य विभागाध्यक्ष प्रो. केएस जायसवाल ने किया। इस अवसर पर प्रतिभागी शोध छात्रों ने इस कार्यशाला के अनुभव एवं फीडबैक का प्रस्तुतिकरण किया एवं कुलपति और मुख्य अतिथि ने सभी प्रतिभागी शोध छात्रों को गे्रडेड प्रमाणपत्र के साथ जेआरएफ छात्रों को उत्तरी देते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया।
धन्यवाद वाणिज्य संकाय के प्रो. अजीत कुमार शुक्ल ने दिया। संचालन डाॅ. आयुष कुमार ने किया। इस कार्यशाला में संकायाध्यक्ष, प्रो. अशोक कुमार मिश्र एवं विभाग के सभी आचार्य प्रो. सुधीर कुमार शुक्ल, प्रो. कृष्ण कुमार अग्रवाल, डाॅ. धनन्जय विश्वकर्मा, सहायक प्रोफेसर वाणिज्य विभाग उपस्थित थे। इस कार्यशाला में वाणिज्य विभाग के समस्त शोधार्थियों ने सहभागिता की।