वाराणसी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता ने कहा कि अंग्रेजी शासन से मुक्त हुए 75 साल होने के उपरान्त भारत अमृत महोत्सव मना रहा है। स्वतंत्रता आन्दोलन में काशी विद्यापीठ की उपयोगिता विशेष रही है। इस संस्थान का प्राथमिक उद्देश्य शिक्षा के द्वारा कौशल विकास, आत्म निर्भर, आत्म शक्ति का गुण विकसित करना रहाहै।
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के विधि विभाग में भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली की ओर से प्रायोजित “आजादी का अमृत महोत्सव के अन्तर्गत दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी “शिक्षा के विशिष्ट एवं नये आयामों को प्रस्तुत करती नई शिक्षा नीति” विषयक संगोष्ठी में शनिवार को विशिष्ट अतिथि न्यायमूर्ति गुप्ता ने अनुच्छेद 35. 21ए की विशेष चर्चा की। उन्होंने कहा कि देश में प्रतिभा की कमी नही है, लेकिन रोजगार के सन्दर्भ में प्रतिभाएं विदेश जा रही हैं। ऐसी प्रतिभाओं को रोकने के लिए नई शिक्षा नीति बहुत ही प्रासंगिक है।
मुख्य अतिथि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति राजेश बिंदल ने कहा कि नई शिक्षा नीति सकारात्मक है, जिसमें छात्रों का भविष्य भी है। उन्होंने बताया कि नई शिक्षा नीति में शिक्षक की भूमिका प्रेरक के साथ महत्वपूर्ण भी हो गई है। न्यायमूर्ति बिंदल ने पुरा छात्रों के योगदान एवं काशी विद्यापीठ के अतीत की उपलब्धियों का गुणगान किया। उन्होंने बताया कि नई शिक्षा नीति में नैतिक शिक्षा, सामुदायिक भावना का विकास एवं सभी वर्ग की शिक्षा पर ध्यान दिया गया है। नई शिक्षा नीति शिक्षा को रोजगार से जोड़कर देखती है। लीगल एड मूवमेंट की सराहना करते हुए न्यायिक साक्षरता के लिए गांव को गोद लेने का सुझाव दिया।
जयप्रकाश नारायण विश्वविद्यालय छपरा के पूर्व कुलपति प्रो. हरिकेश सिंह ने कहा कि शिक्षा की अलख जगाने के लिये शिवप्रसाद गुप्त, महात्मा गांधी ने इस विद्यापीठ की स्थापना की। इसकी स्थापना का उद्देश्य सरस्वती का प्रवाह एवं भारतीय संस्कृति की रक्षा करने हुए सारस्वत परम्परा को आगे बढाना है। उन्होंने शिक्षा नीति के सम्बन्ध में राधाकृष्णन आयोग, दौलत सिंह कोठारी आयोग की महत्व की चर्चा करते हुए वर्तमान शिक्षा नीति को सामंजस्यपूर्ण बताया।
अध्यक्षीय उद्बोधन में विद्यापीठ के कुलपति प्रो. आनन्द कुमार त्यागी ने कहा कि इस संगोष्ठी में नई शिक्षा नीति के सन्दर्भ में जो विचार विनमय होने जा रहा है वह एक दस्तावेज का रूप लेगा। उन्होंने शिक्षा का उद्देश्य समाज कल्याण बताया। ज्ञान शाश्वत है, इसलिये ज्ञान को साझा करना चाहिए। प्रो. त्यागी ने कहा कि न्यायालय विधि की प्रयोगशाला है, जहां व्यक्ति को हमेशा सीखना चाहिये। नई शिक्षा नीति हमारी धरोहर, मानवीय मूल्यों की रक्षा करती है।
कार्यक्रम का शुभारम्भ काशी विद्यापीठ के संस्थापक शिवप्रसाद गुप्त, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं डॉ. भीमराव अम्बेडकर के चित्रों पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया।
इस अवसर पर अतिथियों ने डॉ. शिल्पी गुप्ता की लिखी पुस्तक- Executive Discretion Under Judicial Control: An Analytical Pondering एवं शशांक चन्देल एवं डॉ. अमिताभ सिंह की पुस्तक- Contemporary Status of Women का विमोचन किया। तकनीकि सत्र में पेपर का वाचन भी हुआ।
संगोष्ठी का संचालन डॉ. निमिषा गुप्ता एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. शिल्पी गुप्ता ने किया।