वाराणसी। वर्तमान समय में अनेक ऐसे सॉफ्टवेयर मौजूद हैं, जो साहित्यिक एवं तथ्यों की चोरी को सुगमता पूर्वक व शीघ्रता से पहचान ले रहे हैं। अत: शोधार्थियों के लिए किसी भी प्रकार की शोध सामग्री की चोरी से बचना एवं शोधपरक मूल्यों का दृढ़ता से पालन करना अति आवश्यक है।
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के अंग्रेजी एवं अन्य विदेशी विभाग की ओर से आयोजित दो दिनी व्याख्यानमाला के पहले दिन बुधवार को यह बात कुलपति प्रो. आनंद कुमार त्यागी ने कही। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने कहा कि इस तरह के विषयों पर व्याख्यान का आयोजन अत्यधिक आवश्यक एवं समीचीन है, जिनके माध्यम से शोधार्थियों को शोध संबंधी उचित दिशा निर्देश दिए जा सकते हैं।
मुख्य अतिथि हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डॉ. नंदूरी राजगोपाल ने ‘रिसर्च एंड पब्लिकेशन एथिक्स’ विषय पर बताया कि शोधार्थियों को शोध के दौरान रिसर्च का ज्ञान होना अति आवश्यक है, जिससे वे गुणात्मक व नवोन्मेषी शोधों के माध्यम से अकादमिक जगत में मूल्यपरक योगदान दे सकें। उन्होंने रिसर्च के विभिन्न अवयवों एवं पहलुओं की चर्चा करते हुए डाटा फेब्रिकेशन, फाल्सीफिकेशन ,स्लाइसिंग ,प्लेगेरिज्म पैराफ्रेसिंग इत्यादि की विस्तृत एवं स्पष्ट जानकारी प्रदान की। पब्लिकेशन एथिक्स पर उन्होंने ऑथर, मेंटर इत्यादि से जुड़े COPE गाइडलाइंस पर विस्तृत प्रकाश डाला। डॉ. नंदूरी ने शोधकर्ताओं को COPE गाइडलाइंस पढ़ने का सुझाव दिया।
पूर्व समाज कार्य संकायाध्यक्ष प्रो.संजय ने भी विचार व्यक्त किए। अतिथियों का स्वागत एवं विषय प्रवर्तन अंग्रेजी एवं अन्य विदेशी भाषा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. नलिनी श्याम कामिल ने किया। संचालन डॉ. आरती विश्वकर्मा एवं धन्यवाद ज्ञापन, डॉ. नवरत्न सिंह ने किया। व्याख्यान में विभाग के शिक्षक डॉ. नीरज कुमार सोनकर, डॉ. कविता आर्या, डॉ. रीना चटर्जी, डॉ. किरन सिंह के अतिरिक्त कुलानुशासक प्रो.अमिता सिंह, मुख्य गृहपति प्रो.राजेश कुमार मिश्र, डॉ. अनुकूल चंद्र राय सहित विश्वविद्यालय के अन्य विभागों के शिक्षकों की उपस्थिति रही | व्याख्यान में विशिष्ट उपस्थिति छत्तीसगढ़ के राजकीय कॉलेज के राजनीति विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. शकील हुसैन की रही|