वाराणसी। भारत के 80.1 प्रतिशत लोगों के पास मोबाइल इंटरनेट कनेक्शन उपलब्ध है तकनीकी विकास के दौर में आधुनिकता के साथ कदम से कदम मिलाते हुए लोग सोशल मीडिया के धीमे जहर की चपेट में कुछ इस प्रकार से आ गए हैं कि एक ही छत के नीचे रहते हुए भी आपसी संबंधों में दूरी बढ़ती चली जा रही है।
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के मनोविज्ञान विभाग की अध्यक्ष डॉ. रश्मि सिंह ने पड़ाव स्थित एंबिशन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में मंगलवार को “सोशल मीडिया: प्रयोग एवं दुष्प्रयोग” विषयक विशेष व्याख्यान के दौरान कहीं। उन्होंने कहा कि चाहे सुबह की चाय हो, रात का खाना, क्या पढ़ाई, क्या शॉपिंग हर एक स्थान पर सोशल मीडिया एवं स्मार्टफोन ने व्यक्ति के दिल दिमाग एवं शारीरिक शारीरिक गतिविधियों पर कब्जा कर रखा है, जिस के दुष्प्रभाव से बच पाना तब तक असंभव है, जब तक कि हम सतर्क एवं सक्रिय होकर के सोशल मीडिया के प्रयोग एवं दूध प्रयोग में भेद करना ना सीख ले। ब्रेन जिम मोबाइल अनुशासन परिवार के सदस्यों के मध्य गुणात्मक संबंध व्यतीत करना ज्यादा से ज्यादा मित्रों एवं करीबियों के साथ मिलते-जुलते रहना आर्थिक सामाजिक एवं ज्ञानात्मक कार्य कौशल को विकसित करना साथ ही कुशल परामर्श प्राप्त करते रहने से मोबाइल एवं सोशल मीडिया की लत से बचा जा सकता है।
डॉ. रश्मि का स्वागत संस्था के प्रमुख सुभाष मिश्रा एवं धन्यवाद प्रीति अग्रवाल के द्वारा किया गया इस दौरान विशेष व्याख्यान माला में 300 से अधिक छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।