वाराणसी। बीएचयू के अर्थशास्त्र विभाग की प्रो. मनीषा मेहरोत्रा ने कहा कि आत्मनिर्भरता भारत के लिए कोई नया विषय नहीं है। इसे स्वाधीनता के बाद चौथी और पांचवीं पंचवर्षीय योजना तक प्राप्त कर लिया गया था।
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के अर्थशास्त्र विभाग में भारतीय विकास संरचना एवं वैश्विक विकास विषयक एक दिवसीय संगोष्ठी में मुख्य वक्ता प्रो. मनीषा ने वैश्विक विकास संरचना पर क्रमबद्ध तरीके से चर्चा की। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश और मुगलों के हजारों वर्ष के शासन के बावजूद भारत स्वतंत्रता के 20 वर्ष के उपरांत चौथी पंचवर्षीय योजना तक आत्मनिर्भर हो गया था। आज के परिवेश में यह आवश्यक है कि भारत शेष विश्व को वसुधैव कुटुंबकम का मार्ग दिखाते हुए वैश्विक अर्थव्यवस्था के अनुरूप अपना स्थान सुनिश्चित करे।
विशिष्ट वक्ता अर्थशास्त्र विभाग के प्रो. राजेश पाल ने बताया कि भारत की उभरती हुई अर्थव्यवस्था विश्व में अपना स्थान बना रही है। भारत की अर्थव्यवस्था में आत्मनिर्भरता का तात्पर्य बंद अर्थव्यवस्था से नहीं है। अर्थशास्त्र विभाग के वरिष्ठ शिक्षक डॉ. पारसनाथ मौर्य ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि यह कार्यक्रम जी-20 समूह के उद्देश्यों के अनुरूप भारत के विकास की बात करता है। उन्होंने कहा कि वैश्विक संरचना को जानने के लिए हम दो तरह की यात्राएं करते हैं, बाहरी यात्रा और आंतरिक यात्रा। आंतरिक यात्रा के द्वारा ही हम वैश्विक संरचना को परिवर्तित कर सकते हैं।
कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। अध्यक्षता समाज विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो. बृजेश कुमार सिंह ने की। अतिथियों का स्वागत अर्थशास्त्र विभाग की प्रभारी अध्यक्षा प्रो. अंकिता गुप्ता ने किया। संपूर्ण कार्यक्रम का संयोजन तथा संचालन डॉ. उर्जस्विता सिंह तथा धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम के सह-आयोजन सचिव डॉ. पारिजात सौरभ ने किया।
डॉ. किरण सिंह, प्रो. हंसा जैन, डॉ. शशि बाला, डॉ. अमित कुमार सिंह, डॉ. गंगाधर आदि कार्यक्रम में उपस्थित रहे। साथ ही बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं व स्वयंसेवक स्वयंसेविकाओं की उपस्थिति रही।