वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के अर्थशास्त्र विभाग में सोमवार को वीर बाल दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार ने कहा कि यह दिवस सिखों के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह के परिवार के सदस्यों द्वारा दी गयी कुर्वानी को याद करने का है। इससे हमें देश की स्वतंत्रता और प्रगति के लिए त्याग करने की सीख मिलती है।
मुख्य वक्ता डॉ. राकेश कुमार तिवारी ने जोरावर सिंह एवं फतेह सिंह की वीरता एवं स्वतंत्रता के महत्व को बताते हुए उसे अपने जीवन में उतारने की अपील की। कार्यक्रम के दौरान लघु फिल्म का प्रदर्शन भी किया गया।
कार्यक्रम का संयोजन डॉ. गंगाधर ने किया तथा संचालन प्री पीएचडी कोर्स वर्क की छात्रा नमिता एवं श्वेता ने एवं धन्यवाद ज्ञापन नितेश कुमार गुप्ता ने किया। कार्यक्रम में विभाग के सभी शिक्षकगण प्रो. राजेश पाल, डॉ. पारसनाथ मौर्या, डॉ. अंकिता गुप्ता, डॉ. शशिबाला, डॉ. अमित कुमार सिंह, डॉ. पारिजात सौरभ तथा स्नातक, परास्नातक एवं शोध विद्यार्थी सम्मिलित हुए।
राजनीति विज्ञान विभाग में दिखाई लघु फिल्म
राजनीति विज्ञान विभाग में वीर बाल दिवस पर लघु फिल्म दिखाई गई। इसमे गुरु गोविन्द सिंह के बलिदानी पुत्रों जोरावर सिंह और फतेह सिंह द्वारा 26 दिसम्बर 1704 में दिए गए बलिदान की गाथा विद्यार्थियों को दिखाई गई। इसके पश्चात वीर बाल दिवस पर विभाग में विशेष व्याख्यान भी आयोजित हुआ मुख्य वक्ता राजनीति विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ. सूर्यभान प्रसाद रहे। उन्होनें गुरु गोविंद सिंह जी के साहिबजादों जोरावर सिंह एवं फतेह सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके विषय में बताया। स्वागत एवं संचालन राजनीति विज्ञान विभाग के डॉ. रवि प्रकाश सिंह ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. रेशम लाल ने किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से डॉ. विजय कुमार डॉ. पीयूष मणि त्रिपाठी, डॉ. जयदेव पाण्डेय, डॉ. ज्योति सिंह के साथ स्नातक एवं स्नातकोत्तर के विद्यार्थी सम्मिलित हुए।
गुरु पुत्रों ने प्राण देकर धर्म को सुरक्षित रखा
इतिहास विभाग में हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता मानविकी संकायाध्यक्ष एवं इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रो. अनुराग कुमार ने किया। उन्होंने बताया कि सिखों के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह के दोनों छोटे बेटों बाबा जोरावर सिंह (उम्र 9 वर्ष) और बाबा फतेह सिंह (उम्र 7 वर्ष) को मुगल बादशाह औरंगजेब दीवार में चुनवा दिया गया था, लेकिन उन्होंने अपनी जान देकर भी अपने धर्म को सुरक्षित रखा। गुरु गोविंद सिंह के पुत्रों की इस बलिदान एवं शौर्य को वर्तमान में भी याद किया जाएगा। इतिहास विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. योगेंद्र सिंह ने बताया कि गुरु गोविंद सिंह के दोनों बेटों बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह ने खुशी-खुशी से औरंगजेब के मौत के आदेश को स्वीकार कर लिया, लेकिन मुगलों के आगे अपने घुटने नहीं टेके। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अंजना वर्मा ने एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. जया कुमारी आर्यन ने किया। कार्यक्रम में इतिहास विभाग के सभी शिक्षक डॉ.गोपाल यादव डॉ. वीरेंद्र प्रताप, डॉ.शैलेश कुमार, डॉ. मनोज कुमार सिंह, डॉ.अलका पांडे, डॉ. प्रिया श्रीवास्तव, डॉ.सुधीर सिंह,डॉ. अनिरुद्ध तिवारी, डॉ.अंजू सिंह एवं समस्त छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।