वाराणसी। सांख्यिकी के ज्ञान के बिना कोई भी शोध अपूर्ण होता है। उक्त विचार डॉ. रश्मि रानी ने उन्मुखीकरण कार्यक्रम के दौरान महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के शिक्षा शास्त्र विभाग के शोधार्थियों से कही।
डॉ रश्मि रानी ने प्राचलिक व अप्राचलिक सांखिकीय विधियों मे अंतर करते हुए कहा कि न्यादर्श की संख्या के आधार पर दोनों विधियों मे अंतर किया जाता है। शोध में प्रयुक्त चरों के प्रकार और उनकी उपादेयता पर डॉ. रश्मि रानी ने विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने विवर्णात्मक शोध मे न्यादर्श चयन की विधियों के सम्यक प्रयोग पर विशेष बल देते हुए कहा कि न्यादर्श चयन के आधार पर ही सांखिकीय विधियों का प्रयोग किया जाना चाहिए।
मुख्य अतिथि का स्वागत विभागाध्यक्ष डॉ. शैलेंद्र वर्मा ने किया। संचालन रोहिणी मालवीय ने किया। कार्यक्रम मे डॉ. राखी देब, डॉ. दिनेश कुमार, संजय कुमार, कृष्ण कुमार, मनोज यादव, उम्मुल् फ़ातमी, ज्योति मिश्र, विजेता सिंह, विनय सिंह, अरविंद, शिखा राय, नैना चौरासिया, शालिनी मिश्र, शृंखला, प्रकृति व पीयूष समेत समस्त शोधार्थी उपस्थित थे। यह जानकारी विवि के सूचना एवं जन संपर्क अधिकारी डॉ. नवरत्नन सिंह ने दी।