वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के हिन्दी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग में शोध-व्याख्यानमाला शृंखला अन्तर्गत ‘शोध प्रविधि’ विषय पर एकल व्याख्यान कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य वक्ता एवं विषय विशेषज्ञ इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के प्रो. राकेश सिंह रहे।
प्रो. सिंह ने शोध प्रक्रिया के दौरान आने वाली विभिन्न जटिलताओं एवं शोधार्थियों द्वारा रखी जानी वाली आवश्यक सावधानियों पर विस्तार पूर्वक चर्चा की साथ ही उन्होंने मानविकी-शोध की विभिन्न प्रविधियों का परिचय देते हुए शोध के सोपानों पर सम्यक बातचीत की।
प्रो. सिंह ने कहा ” शोध का सही अर्थ तथ्यों की खोज करना है। प्रत्येक रचना का वही अर्थ नहीं होता जो रचनाकार का अर्थ होता है। रचना में अर्थ की अनन्त सम्भावनाएँ होती हैं। रचना में अर्थ की इन्हीं अनन्त सम्भावनाओं की वजह से ही शोध की प्रासंगिकता बनी हुई है। एक शोधार्थी द्वारा तथ्यों का संकलन, उनका विश्लेषण एवं विश्लेषण उपरांत अपनी व्याख्या ही सही मायने में शोध कहलाता है।”
अध्यक्षता कर रहे हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग के अध्यक्ष प्रो. निरंजन सहाय ने अतिथि वक्ता के प्रति आभार ज्ञापित करते हुए उनके अमूल्य विचारों को शोधार्थियों को आत्मसात करने की अपील की।
व्याख्यान के बाद प्रश्नोत्तर सत्र में हिंदी विभाग के शोधार्थियों रामकरन कुशवाहा, आरती तिवारी, शिव शंकर यादव आदि ने उपरोक्त विषय पर अपने प्रश्न पूछे जिन पर प्रो. राकेश सिंह एवं अन्य उपस्थित आचार्यों द्वारा समाधान पूर्वक संवाद किया गया।
कार्यक्रम के दौरान मानविकी संकाय अध्यक्ष प्रो. अनुराग कुमार, हिंदी विभाग के प्रो. रामाश्रय सिंह प्रो. राजमुनि, डॉ. प्रीति, डॉ. विजय रंजन, डॉ. राजीव कुमार एवं शोध छात्र उज्ज्वल सिंह, प्रज्ञा पाण्डेय, मनीष यादव, सुरभि सिंह, शुभम् श्रीवास्तव, अंजना भारती, प्रतिभा, रवि यादव, रीतु यादव, अभिषेक कुमार आदि उपस्थित रहे।