वाराणसी। शिक्षा ही महिला को सशक्त बना सकती है। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के शिक्षा शास्त्र विभाग में आयोजित मुस्लिम महिला अधिकार दिवस के अवसर पर उक्त वकतव्य विश्व विद्यालय नैक कार्डिनेटर डॉ. अरिफ ने बतौर मुख्य वक्ता ने दिया।
उन्होंने मुस्लिम महिलाओं की स्थिति पर दृष्टि डालते हुए बताया कि भारत के मुस्लिम समाज में महिलाओं की हालत बहुत खराब है। मुस्लिम महिला शिक्षा, आर्थिक हालत और स्वास्थ्य के हिसाब से भारत की सबसे कमजोर नागरिक हैं और तालाक जैसे मामलों में एक तरफा नियम और पुरानी परम्पराओं ने उन्हें और कमजोर कर रखा है। सदियों भेदभाव की पीड़ित महिलाओं को बराबरी के स्तर पर लाना बहुत ही जरूरी है और यह कार्य सिर्फ शिक्षा ही कर सकती है।
समाज कार्य विभाग की सह आचार्य डॉ. शैला परवीन ने महिलाओं को समानता के अधिकार पर दृष्टि डालते हुए कहा कि स्वयं को सीमित करके समाज के आधे अधूरे हिस्से से दूर जाना कोई बुद्धिमानी नहीं है। यह समय की मांग है कि हम सभी को साथ लेकर चले और हर विचार तथा राय से फायदा उठाकर ही कौम को सफलता की मंजिल तक ले जाने की कोशिश कर सकते है। एमएड छात्राध्यापिका दरकशा नाहिद ने बताया कि भारतीय मुस्लिम समुदाय चार अलग अलग शरीयतों का पालन करते हैं, हनफी, शफी, हम्बली और मलिकी। इस्लामी विद्वानों का कहना है कि शरीयत अपरिवर्तनीय नहीं है तो हमें ऐसे सामाजिक मर्यादाओ का निर्माण करना होगा, जिससे महिलाओं में असमानता की स्तिथि को समाप्त किया जा सके।
अतिथियो का स्वागत शिक्षा शास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. शैलेंद्र वर्मा ने किया। कार्यक्रम में रमेश प्रजापति, डॉ. दिनेश कुमार, डॉ. डीके मिश्रा, डॉ. अभिलाषा जायसवाल, ज्योतसना राय , डॉ. अरुण मिश्र, ज्योत मिश्रा, नैना, समेत समस्त पुरातन विद्यार्थी एवं शोधार्थी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. वीणावादिनी तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. राखी देव ने किया। यह जानकारी सूचना एवं जन संपर्क अधिकारी डॉ. नवरतन सिंह ने दी।