वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो. आनंद कुमार त्यागी ने कहा कि यदि हमें पुरातन भारतीय खजाने को खंगालना हो तो बाहर के इतिहासकारों को पढ़ना पड़ेगा। उन्होंने स्वामी विवेकानंद की विचारों पर कहा कि हमें ज्ञान अर्जन करने के साथ साथ ज्ञान के प्रसार पर भी जोर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि पूर्ण सत्य की शुरुआत ही स्वामी विवेकानंद से है। हमें ऐसे ज्ञान की जरूरत है जो मानवता की शास्वता को सुनिश्चित करें। राष्ट्रीय चरित्र का निर्माण आज की सबसे बड़ी जरूरत है।
प्रो. त्यागी सोमवार को डॉ. भगवानदास केंद्रीय पुस्तकालय स्थित समिति कक्ष में मदन मोहन मालवीय हिंदी पत्रकारिता संस्थान और राम कृष्ण मिशन पुणे, महाराष्ट्र और वाराणसी शाखा कीओर से आयोजित “विवेकानंद की चिंतन धारा और युवा” विषयक एक दिवसीय विचार गोष्ठी और पुस्तक प्रदर्शनी की अध्यक्षता कर रहे थे।
मुख्य वक्ता बीएचयू के हिंदी विभाग के पूर्व आचार्य एवं आलोचक प्रो. अवधेश प्रधान ने स्वामी विवेकानंद की चिंतन धारा को युवाओं से जोड़ते हुए कहा कि स्वामी विवेकानंद राष्ट्र निर्माण के दौर में युवाओं के सबसे बड़े प्रेरणा स्रोत हैं। उन्होंने कहा कि विवेकानंद जी के विचारों की श्रेष्ठता इस बात में है कि उन्हें कभी भी पढ़िए हमेशा नई प्रेरणा मिलेगी। स्वामी जी हमेशा समस्याओं का सामना करने पर जोर देते थे। प्रो. प्रधान ने कहा कि निःस्वर्थता ही सबसे बड़ा ईश्वर है, इसलिए हमें निःस्वार्थ होने की जरूरत है। आज युवाओं के लिए विवेकानंद जी से बड़ा प्रेरक और मार्गदर्शक कोई नहीं है।
कार्यक्रम के सह संयोजक मोहित महिमतुरा ने कार्यक्रम की रूपरेखा बताई और कुलपति तथा मुख्य वक्ता को कुछ पुस्तकें भेंट कीं। कार्यक्रम के संयोजक महामना मदन मोहन मालवीय हिंदी पत्रकारिता संस्थान के निदेशक प्रो. अनुराग कुमार थे। संचालन डॉ. सुरेंद्र प्रताप सिंह और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. राजमुनी ने किया। इस मौके पर चीफ प्रॉक्टर प्रो. अमिता सिंह, डॉ. रामाश्रय, डॉ. प्रीति, डॉ. दिनेश शुक्ला, डॉ. जयप्रकाश श्रीवास्तव, डॉ. जिनेश कुमार, शोध छात्र अंकित, दीपक, वंदना, मनीष, बलिराम, आमीन, अभिषेक, शशांक पांडे, राजेश, अमित, रौशन कुमार सहित जया, रश्मि, मोनिषा, स्मिता, रिया, सूरज चौबे, ऋषभ, अबीर, चंदन, विकास, मिथिलेश, सुमित उपाध्याय, रितेश, राघवेंद्र, राहुल, प्रियंका, प्रज्ञा, ऋतु, पुष्पा, उज्ज्वल, रजनीश सहित अन्य छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।