वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ हिन्दी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. सुरेंद्र प्रताप ने कहा कि पत्रकारिता नई पीढ़ी के लिए एक चुनौती है, आज प्रेमचंद के युग की पत्रकारिता नहीं रही। वर्तमान में पत्रकारिता के कई आयाम हैं। हमें समरस समाज को गढ़ने की जरूरत है।
प्रो. प्रताप हिन्दी विभाग, महामना मदन मोहन मालवीय पत्रकारिता संस्थान और क्षेत्रीय सांस्कृतिक केन्द्र वाराणसी, संस्कृत विभाग उत्तर प्रदेश की ओर से समिति कक्ष, केन्द्रीय पुस्तकालय सभागार में ‘प्रेमचंद : अध्यापक और पत्रकार’ विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन सत्र की अध्यक्षता कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि प्रेमचंद ने अपनी कथा, कहानी और नाटकों के माध्यम से समाज में एक नया आयाम स्थापित किया है। उन्होंने समाज के निचले तबके की व्यथाओं को सलीके के साथ हम सबके सामने रखा है। मुख्य अतिथि हैदराबाद केन्द्रीय विश्वविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. गजेन्द्र पाठक ने कहा कि हिंदी साहित्य में जो बहुत सरल होता है उसके पीछे एक बड़ी साधना होती है। उन्होंने कहा की कठिन होना आसान है लेकिन सरल होना बहुत कठिन है। साथ ही उन्होंने मध्यकालीन और आधुनिक युग की तुलना त्रिवेणी का उदाहरण दिया।
सारस्वत अतिथि आकाशवाणी के केंद्रीय निदेशक राजेश गौतम ने कहा कि प्रेमचंद विद्यापीठ में अध्यापक रहे और आप प्रेमचंद की पीढ़ी से है तो अपने सोच को ऐसा बनाए की आपसे प्रदर्शित हो की आप कहां से हैं, उन्होंने कहा की प्रेमचंद को पढ़ने से पहले आप समझिए की उन्होंने लिखा क्यों?
विशिष्ट वक्ता डॉ. वंदना मिश्रा ने कहा कि टूटे-फूटे शब्द महाकाव्य से भी बड़े होते हैं। प्रेमचंद ने अपने साहित्य में मानव मन को बहुत सूक्ष्म तरीके से समाहित किया है। प्रेमचंद विरोध का समर्थन करते हैं। उन्होंने पत्रकार और शिक्षक के रूप में बहुत चुनौतियों को झेला। प्रेमचंद जी ने समानता स्वाधीनता का संतुलन बनाते हुए चलते थे।
संगोष्ठी के प्रतिभागी सत्र में छात्र-छात्राओं ने अपने शोध पत्र पढ़े। हिंदी विभाग के शोध छात्र गजेंद्र यादव ने अपना शोध पत्र पढ़ते हुए बताया कि प्रजा में राजनीतिक चेतना लाना भारत का पहला कर्तव्य है। प्रेमचंद गांधी भक्त थे, लेकिन अंधभक्त नहीं थे। सूरज चौबे ने प्रेमचंद के पत्रकारिता के वर्तमान परिदृश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज के युग में प्रेमचंद की पत्रकारिता जन सरोकार से जुड़ी है। आयुषी तिवारी ने प्रेमचंद की रचनाओं का सार प्रस्तुत किया। जया ने बताया कि प्रेमचंद जाति धर्म संप्रदाय से ऊपर उठकर लिखे, और स्वतंत्रता आंदोलन में एक समर्थ पत्रकार बन कर सामने आए। रोशन कुमार ने देश और राजनीति के आगे चलने वाले मशाल थे। विजय आनंद ने प्रेमचंद का लोक विषय पर वक्तव्य दिया। संचालन रविनंदन सिंह और धन्यवाद ज्ञापन केपी गौडर ने किया।
रपट पत्र अंकित कुमार सिंह ने पढ़ा। उन्होंने कहा की अध्यापक प्रेमचंद और पत्रकार प्रेमचंद का संबंध विद्यापीठ से रहा है। विशिष्ट वाचन डॉ प्रीति ने किया।
मौके पर हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. निरंजन सहाय, पत्रकारिता संस्थान निदेशक प्रो. अनुराग कुमार, डॉ. रामाश्रय, डॉ. रविन्द्र पाठक, डॉ. प्रीति और शिवशंकर यादव सहित अन्य मौजूद रहे।