वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के अंग्रेजी एवं अन्य विदेशी भाषा विभाग की ओर से आयोजित सात दिवसीय इंडक्शन प्रोग्राम के दूसरे दिन बुधवार को कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ हुआ। अतिथियों का स्वागत विभागाध्यक्ष प्रो. नलिनी श्याम कामिल ने अंगवस्त्र एवं माल्यार्पण कर किया।
वक्ता के रूप में केबीपीजी कॉलेज, मिर्जापुर के अंग्रेजी विभागाध्यक्ष प्रो जीएस द्विवेदी, जगतपुर पीजी कॉलेज, वाराणसी से प्रो.आरसी पाठक एवं समाज कार्य विभाग, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के प्रो. बंशीधर पांडे उपस्थित रहे। प्रथम वक्ता प्रो. आरसी पाठक ने ‘रिसर्च और इसके औचित्य पर अपनी बात रखी। उन्होंने गुणवत्तापूर्ण शोध की चर्चा के दौरान विशेष जोर दिया कि एक बहुत ही विस्तृत रिसर्च थिसिस लिखने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि यह ज्यादा महत्वपूर्ण है कि कम से कम पृष्ठों में मौलिक एवं गुणवत्तापूर्ण शोध को संपादित किया जाए। उन्होंने विभिन्न हिंदी साहित्य के आलोचकों, समीक्षकों, कवियों एवं रचनाकारों के उदाहरण प्रस्तुत करते हुए अपनी बात को स्पष्ट करने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि आज के समय में अंतर -विषयी और अंतर-भाषाई शोध पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। रिसर्च को संपादित करने के लिए शोधार्थियों को अधिक से अधिक पुस्तकों का पाठन व पुस्तकालयों का अवलोकन करना चाहिए, जो उन्हें वास्तविक डेटा संग्रह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
द्वितीय वक्ता प्रो. बीडी पांडे ने ‘एथिक्स एंड रिसर्च’ विषय पर शोधार्थियों को जानकारी प्रदान की। उन्होंने रिसर्च एथिक्स के तात्पर्य, एथिकल डिलेमा तथा रिसर्च मिसकंडक्ट से जुड़े तथ्यों फाल्सिफिकेशन, फेब्रिकेशन, प्लेजरिज्म इत्यादि पर प्रकाश डालते हुए रिसर्च से जुड़े कुछ प्रमुख अवयवों जैसे ऑनेस्टी, इंटीग्रिटी, ट्रांसपेरेंसी, अकाउंटेबिलिटी इत्यादि की चर्चा की और इस बात पर विशेष बल दिया कि शोध प्रक्रिया के अंतर्गत शोधार्थियों को इन सभी बातों का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है। तभी वह एक मौलिक व गुणवत्तापूर्ण शोध को पूर्ण कर सकते हैं।
तीसरे वक्ता प्रो. जीएस द्विवेदी जी ने इंडियन इंग्लिश पोयट्री के उद्भव एवं विकास पर प्रकाश डालते हुए स्वतंत्रता पूर्व से लेकर आधुनिक काल तक इसके विकास के विभिन्न चरणों की व्याख्या की। उन्होंने विभिन्न कवियों एवं उनकी रचनाओं के माध्यम से इंडियन इंग्लिश पोयट्री के विभिन्न पक्षों,विषय-वस्तु तथा इसमें शोध संबंधी नवीन संभावनाओं पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम का संयोजन एवं अतिथियों का स्वागत तथा विषय प्रवर्तन विभागाध्यक्ष प्रो. नलिनी श्याम कामिल ने किया। संचालन डॉ. रीना चटर्जी तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. नवरत्न सिंह ने किया। कार्यक्रम की संक्षिप्त रिपोर्ट डॉ. आरती विश्वकर्मा ने प्रस्तुत की। विभाग के शिक्षक डॉ. नीरज कुमार सोनकर, डॉ. कविता आर्य, डॉ. किरन सिंह, शोधार्थी एवं परास्नातक कक्षाओं के विद्यार्थी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।