वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के दर्शनशास्त्र विभाग में आयोजित सात दिवसीय रिसर्च मेथाडोलॉजी की कार्यशाला के समापन समारोह में भारत सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार एवं काशी विद्यापीठ के प्रशासनिक निर्देशानुसार G20 समिट के लोगो, थीम एवं रंग को विभाग ने अपने सप्त दिवसीय कार्यशाला के साथ संयुक्त करके उसका प्रचार और प्रसार करने में अपनी भूमिका सुनिश्चित की।
समिट के प्रतीक चिह्न का थीम वसुधैव कुटुंबकम है, जिसका मूलभाव दर्शनशास्त्र के साथ जुड़ा हुआ है। एतदर्थ सात दिवसीय कार्यशाला के आरंभ में ही G20 समिट के लोगों में प्रयुक्त चिन्ह एवं रंगों को विद्यार्थियों को बताते हुए उसके महत्व को स्पष्ट किया।
प्रथम वक्ता संगीत विभाग की डॉ. संगीता घोष ने नाद, श्रुति, स्वर की दार्शनिक एवं शोधपरक दृष्टि पर व्याख्यान दिया और कहा कि शोध में विभिन्न भाषा का ज्ञान अत्यंत आवश्यक एवं अनिवार्य है। द्वितीय वक्ता समाजकार्य विभाग की प्रो. शैला परवीन ने मानविकी में शोध: सन्दर्भ और साईटेशन पर कहा कि सन्दर्भ और साईटेशन शोध की मूल आत्मा है। ये दोनों ही वास्तविक शोध के अनिवार्य साधन है।
कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए प्रो. योगेन्द्र सिंह ने कहा कि शोध से समाज प्रभावित होता है। इसलिए शोध को समाजोपयोगी होना चाहिए। शोध के लिए धैर्य का होना अनिवार्य है।
संपूर्ण कार्यशाला का संचालन डॉ. अंबरीष राय ने किया। कार्यशाला में अतिथियों का स्वागत विभागाध्यक्ष प्रो. राजेश कुमार मिश्र ने किया। कार्यशाला की समन्वयक प्रो नंदिनी सिंह ने सम्पूर्ण कार्यशाला की रिपोर्ट तथा सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में दर्शनशास्त्र विभाग से प्रो. शशि देवी सिंह, प्रो. पितांबर दास, डॉ. शिवपूजन सिंह यादव, डॉ. आशुतोष त्रिपाठी, प्रो. नलिनी श्याम कामिल, डॉ. अनीता, डॉ आकांक्षी तथा अनेक शोधार्थी और विद्यार्थी उपस्थित रहे।