वाराणसी। एन सी ई आर टी द्वारा ओरिएंटेशन प्रोग्राम फॉर शिक्षक प्रशिक्षु, रिव्यू ऑफ प्राइमर (उर्दू), स्टोरी राइटिंग एवं ई कंटेंट डेवलोपमेन्ट के लिए आयोजित पाँच दिवसीय कार्यशाला के तहत चौथे दिन चयनित विषय विशेषज्ञों द्वारा प्रौढ़ साक्षरता के लिए लिखी गई कहानियों को एनसीईआरटी की प्रो संध्या सिंह ने सुना और प्रौढ़ शिक्षा के मानक व जरूरतों पर ध्यान देने की बात कही। उन्होंने कहा कि कहानी को छोटे-छोटे दृश्यों में देखने की जरूरत है। हम पुराने विषय को भी नए ढंग से कह सकते हैं। कहानी में कैरेक्टर बोलता है तो अच्छा होता है।
प्रो. सिंह ने कहा कि कहानी में अनावश्यक शब्द या कहें शब्दों की फिजूलखर्ची नहीं होनी चाहिए। कहानी में उपदेश से बचना चाहिए। कार्यशाला के दूसरे सत्र में बीएड और एमएड के विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए एनसीईआरटी की डॉ. यासमीन अशरफ ने कहा कि प्रौढ़ शिक्षा से सम्बंधित क्या-क्या कार्यक्रम चल रहे हैं, यह खासकर शिक्षक प्रशिक्षुओं को जानना बेहद जरूरी है। उसी से रूबरू कराने के लिए यह कार्यक्रम है। जो पढ़ा- लिखा नहीं है रोजमर्रा की परेशानियों से घिरा रहता है उसे जीवन के महत्वपूर्ण कौशल सिखाने हैं।
एनसीईआरटी के डॉ. शिवा श्रीवास्तव ने कहा कि यह कार्यक्रम भविष्य के शिक्षको के साथ है, जो स्वयंसेवी शिक्षक के रूप में जाने जायेंगे। आजादी के पहले भी यह अभियान था। तब भी जागरूकता संबंधी बातें होती थीं। साठ के दशक में इसे ग्राम शिक्षा मुहिम के नाम से इसे लाया गया। जब लगभग तीन लाख लोगों को साक्षर बनाया गया। अभी हाल ही में पढ़ना-लिखना अभियान आया, जिसमें 57 लाख लोगों को साक्षर किया गया। नव साक्षर अभियान की थीम है एजुकेशन फॉर ऑल। यह अभियान डिजिटल तरीके से आगे बढ़ेगा। सरकारी आंकड़े के हिसाब से अभी 14 करोड़ लोग असाक्षर हैं। बीएड, एमएड, के विद्यार्थी स्वयंसेवी शिक्षक बनेंगे। उन्ही के माध्यम से यह अभियान आगे बढ़ेगा। भारत को साक्षर बनाने में आपका रोल बहुत बड़ा है। अभियान के मूल्यांकन का प्रावधान भी इस कार्यक्रम के अंतर्गत है। कार्यशाला में प्रो निरंजन सहाय, एनसीईआरटी की प्रो. चमन आरा खान, याचना गुप्ता, महिमा बंसल, डॉ. प्रीति, डॉ सौरभ पारिजात, डॉ. नफीस बानो, प्रो. शाहिना रिज़वी, प्रो. आफताब अहमद, डॉ. आरिफ हसन काज़मी, डॉ. गुलजबी, डॉ. सीमान्त प्रियदर्शी सहित अन्य बड़ी संख्या में बी एड विद्यार्थी उपस्थित रहे।