वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो. आनंद कुमार त्यागी ने कहा कि “हिन्दी भाषा हमारी संस्कृति और भावनाओं को व्यक्त करने और जोड़े रखने में सहायक है शारीरिक शिक्षा एवं खेल में वर्तमान समय में युवाओं में अपार संभावनाएं हैं इसका उपयोग कर छात्र अपने भविष्य को उज्जवल बना सकते हैं “
वह शिक्षा संकाय सभागार में शारीरिक शिक्षा विभाग और योग एवं नेचुरोपैथी एजुकेशन सेन्टर द्वारा आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला “शारीरिक शिक्षा एवं खेल में संभावनाएं” का शुभारंभ कर रहे थे।
कार्यक्रम निदेशक, संकायाध्यक्ष प्रो. सुशील कुमार गौतम ने शारीरिक शिक्षा और खेलों पर प्रकाश डालते हुए शारीरिक शिक्षा के अंतर्गत विभिन्न क्षेत्रों में सम्भावनाओं की चर्चा की। बीएचयू के डॉ. कृष्ण कांत ने कहा कि शारीरिक शिक्षा एवं खेल की शिक्षा कक्षा 6-7 से ही दी जानी चाहिए, ताकि बच्चे अपनी भावना के साथ-साथ सामने वालों की भावनाओं की भी कद्र करें। सेंट्रल यूनीवर्सिटी साउथ बिहार, गया के डॉ. गौरव कुमार ने शारीरिक शिक्षा टीचर को किन किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है तथा उन्होंने नयी शिक्षा नीति और स्वस्थ्य शिक्षा पर जोर दिया। उनकी पहल से सीबीएससी के स्कूलों मे “स्वस्थ शिक्षा स्वस्थ भारत” अभियान की शुरुआत हुई।
पीजी कॉलेज मथुरा, आगरा विश्वविद्यालय के डॉ. जसवंत ठाकुर ने प्रैक्टिकल के साथ थ्योरी पर भी विशेष ध्यान देने की बात कही और बताया कि अच्छी आदतें चरित्र का निर्माण करती हैं। जिससे एक अच्छे राष्ट्र का निर्माण होता है। सेंट्रल यूनीवर्सिटी साउथ बिहार, गया के डॉ. जेपी सिंह ने कहा कि शारीरिक शिक्षा एवं खेलों से व्यक्ति का सर्वांगीण विकास होता ही है, व्यक्ति के जीविका यापन के लिए भी अपार संभावनाएं होती हैं। इनमें योग, फिटनेस, शिक्षण, पत्रकारिता, मैनेजमेंट शामिल हैं।
कार्यक्रम के संयोजक डॉ. बालरूप यादव और डॉ. सुनीता ने अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन आयोजक सचिव डॉ. सुनील कुमार यादव ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. कुंदन सिंह ने किया। इस अवसर पर डॉ. सुरेंद्रराम, डॉ. अरुण कुमार श्रीवास्तव, अभिषेक मिश्रा, अमित गौतम, डॉ. चन्द्रमणि, निशा यादव, पूजा सोनकर, सरिता गुप्ता, अरविन्द सिंह के अलावा बड़ी संख्या में छात्र /छात्राएं उपस्थित रहें। कार्यक्रम का समापन राष्ट्र गान के साथ किया गया।