वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के शिक्षा शास्त्र विभाग की ओर से शोधार्थियों के लिए आयोजित कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. आनंद कुमार त्यागी ने कहा कि उत्तम शोध का मुख्य नियम पूर्व शोधों एवं संबंधित साहित्य का गहन अध्ययन है. शोध मे अनावश्यक तथ्यों को शामिल किये जाने से हमेशा बचना चाहिए। समाजोपयोगी शोध आज की आवश्यकता है।.
विशिष्ट अतिथि विवि के शोध प्रकोष्ठ के निदेशक डॉ. राहुल गुप्ता ने कहा कि शोध प्रबंध लेखन मे उन्ही तथ्यों का उल्लेख किया जाए जो शोध उद्देश्य की पूर्ति के लिए पर्याप्त हो । सारगर्भित अध्ययन से हम अपने ज्ञान एवं शब्द भंडार में बहुत वृद्धि कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि अनुसंधान इमानदारी से की गई एक प्रक्रिया है, इसमें गहनता से अध्ययन करते हुए विवेक एवं समझदारी से काम लिया जाता है।.शोध एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें धैर्य एवं विश्लेषणात्मक योग्यता की परम आवश्यकता होती है।
शोध प्रस्ताव पर मार्गदर्शन करते हुए मुख्य वक्ता अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो राजीव कुमार ने कहा कि शोध प्रस्ताव किसी भी शोध की आधारशिला है। बिना अच्छे शोध प्रस्ताव के अनुसंधान उद्देश्यहीन हो जाता जाता है। उन्होंने कहा कि शोध मानव ज्ञान को दिशा प्रदान करता है तथा ज्ञान भंडार को विकसित एवं परिमार्जित करता है। शोध जिज्ञासा नामक मूल प्रवृत्ति को संतुष्ट करता है। शोध में व्यवहारिक समस्याओं का समाधान होता है, जो पूर्वाग्रहो के निदान और निवारण में सहायक है।
इस कार्यशाला में विभागीय शोध पत्रिका ‘जर्नल ऑफ एजुकेशन एंड इंडियन परस्पेक्टिव’ का विमोचन कुलपति ने किया। कार्यक्रम में सभी अतिथियों का स्वागत विभागाध्यक्ष प्रो शैलेंद्र कुमार वर्मा ने किया। संचालन शोधार्थी विजेता सिंह ने एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रो. सुरेंद्र राम ने किया।
इस अवसर पर डॉ. राखी देव, डॉ. गंगाधर मोहन, डॉ. वीणा वादिनी, डॉ. राजेंद्र यादव, डॉ. दिनेश कुमार, डॉ. रमेश कुमार प्रजापति, डॉ. अभिलाषा जायसवाल, डॉ. ज्योत्सना राय, ज्योति मिश्रा, ज्योति झा, कृष्ण कुमार, अरविंद, मनोज यादव, पूनम कुमारी, संतोष कुमार, विनय सिंह उपस्थित थे ।