वाराणसी। अंडर वाटर कल्चर हेरिटेज लगभग 100 वर्ष पुराना है l भारत में जल के अंदर पर्यटन की अपार संभावनाएं विद्यमान हैं l भारत का इतिहास बहुत प्राचीन है l वर्तमान समय में भारत में सांस्कृतिक पर्यटन को विशेष रुप से बढ़ावा देने की जरूरत है, इसे और अधिक व्यवस्थित करने की आवश्यकता है l सांस्कृतिक पर्यटन में विकास और रोजगार की असीम संभावनाएं हैं l भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण धरोहरों पर विशेष रूप से काम कर रहा है ,इसके लिए वह नौसेना सहित यूनेस्को की भी सहायता ले रहा है l
उक्त बातें एडिशनल डायरेक्टर जनरल आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया प्रो. आलोक त्रिपाठी ने पर्यटन अध्ययन संस्थान द्वारा आयोजित “अंतर जलीय सांस्कृतिक धरोहर : पर्यटन की अपार संभावनाएं ” विषयक एक दिवसीय वैचारिक गोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता कहीं l उन्होंने बताया कि शोध के लिए सहयोग की आवश्यकता होती है, इसीलिए पुरातात्विक धरोहरों के संरक्षण के लिए हमें राष्ट्रीय एवं वैश्विक संस्थाओं का सहयोग लेना चाहिए। इससे हमें काम करने में सहायता मिलती है l सांस्कृतिक पर्यटन भारत की राष्ट्रीय आय का प्रमुख स्रोत है l पानी के अंदर गोताखोरी के लिए हमें कई तरह के उपकरणों की आवश्यकता होती है इसलिए हमें इन उपकरणों एवं इसके उपयोग के बारे में जानकारी होनी चाहिए।
प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि वर्तमान समय में पर्यटन स्थलों के संरक्षण की विशेष आवश्यकता है ,इसलिए हमें सांस्कृतिक एवं पुरातात्विक पर्यटन स्थलों को संरक्षित करना चाहिए। सांस्कृतिक पर्यटन से हम मानव विकास के बारे में क्रमिक अध्ययन करते हैं l इससे हमें संस्कृतियों के विकास का वैज्ञानिक आधार प्राप्त होता है l भारत में लक्ष्यदीप और महाबलीपुरम पानी के अंदर संस्कृतिक धरोहर के प्रमुख केंद्र है l द्वारका हिंदुओं का प्रमुख तीर्थ स्थल है, जो समुद्र में डूब गया है l यह भी पानी के अंदर सांस्कृतिक धरोहर का प्रमुख केंद्र है ,जो श्रद्धालुओं और पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है l 2021 से 2030 का समय सामुद्रिक विज्ञान एवं सतत विकास दशक के रूप में मनाया जा रहा है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि शोध एवं विकास के लिए जन सहयोग की आवश्यकता है, इसलिए सांस्कृतिक पर्यटन को जन व्यापी बनाने के लिए संस्थाओं और युवाओं को आगे आने की कोशिश की जाय।
इस अवसर पर महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो. आनंद कुमार त्यागी, कुलसचिव डॉ. हरीश चंद्र एवं कुलानुशासक प्रो. अमिता सिंह उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संयोजन तथा स्वागत पर्यटन अध्ययन संस्थान के निदेशक प्रो. संतोष कुमार ने किया l संचालन डॉ. ज्योतिमा सिंह तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. पवन सिंह ने किया। विचार गोष्ठी का उद्घाटन दीप प्रज्ज्वलन एवं कुलगीत से किया गया।
इस अवसर पर प्रो. संजय, प्रो. नलिनी श्याम कामिल, प्रो. अशोक मिश्र, प्रो. आरपी त्रिपाठी, प्रो. अनुराग कुमार, प्रो. मोहम्मद आरिफ, प्रो. महेंद्र मोहन वर्मा, प्रो. ब्रजेश कुमार सिंह, प्रो. सूर्यभान, प्रो. आरपी द्विवेदी, प्रो. श्रद्धानंद, प्रो. शिव कुमार मिश्र, डॉ. संजय सिंह, पीआरओ डॉ. नवरत्न सिंह, डॉ. सुरेंद्र प्रताप सिंह, डॉ. दीपक, डॉ. पारिजात , डॉ. संगीता घोष, प्रो. अनुकूल चंद राय, डॉ. रणधीर, डॉ. सुमन ओझा, डॉ. अमरेंद्र सिंह, डॉ. विनय, डॉ. प्रशांत सिंह,डॉ. मनोहर लाल, डॉ. प्रभा शंकर, राम प्रकाश यादव, डॉ. अनीता गौतम, डॉ. रणजीत सिंह, अमिताभ ( नीलू ), अभय, शरद, शिशुपाल दीपक, करन, मुलायम, अनुप्रिया, स्नेहलता, प्रियंका, फैज़ अहमद, बलिराम, मनीषा, सूरज, सत्यार्थ, चंदन एवं कर्मचारीगण उपस्थित रहे l