वाराणसी। अन्तर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के अवसर पर शनिवार को महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के विधि विभाग में मानवाधिकार – आदर्श एवं यथार्थ विषयक एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि बीएचयू के विधि संकाय के प्रो. जय प्रकाश राय ने अनुच्छेद 21 के संदर्भ में बात करते हुए मानवाधिकार की सुरक्षा की बात कही।
उन्होंने भारत में भाषाई अधिकार के संदर्भ में भी बताया तथा न्याय और निर्णय को भिन्नता को समझाया। उन्होंने कहा कि मानवाधिकार दिवस हमें याद दिलाता है कि हम मानव है। जब तक हम अपने अलावा दूसरा के अधिकार की बात नही समझते तब तक मानवाधिकार संभव नही है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विद्यापीठ के कुलपति प्रो. आनन्द कुमार त्यागी ने कहा कि मानव की परिकल्पना के उद्गम स्थान के साथ-साथ चुनौतियां आती गईं। उन्होंने मानवाधिकार के महत्व अन्य अधिकारों के महत्त्वपूर्ण विषयों पर समाज के सभी वर्गों को जागरूक करना तथा मानवाधिकार के महत्व को बताया।
विधि छात्रों ने वैश्वीकरण तथा जेण्डर का संदर्भ में भी मानवाधिकार पर विचार विमर्श किया। अतिथि का स्वागत विधि संकायाध्यक्ष प्रो रंजन कुमार, संचालन एल-एल एम की छात्रा शेफाली ने किया। कार्यक्रम में विधि विभाग के समस्त शिक्षण कर्मचारी, शोधार्थी एवं छात्र/ छात्राएं उपस्थित थे। इस अवसर पर छात्र/छात्राओं ने भी विचार व्यक्त किये।
गरिमापूर्ण जीवन ही मानवाधिकार-डॉ. केके सिंह
राष्ट्रीय सेवा योजना एवं पंडित दीनदयाल उपाध्याय शोध पीठ की ओर से कुलपति प्रो. आनंद कुमार त्यागी के निर्देशन में मानवाधिकार का ऐतिहासिक परिपेक्ष्य विषयक एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। राष्ट्रीय सेवा योजना के समन्वयक व छात्र कल्याण संकायाध्यक्ष डॉ. केके सिंह ने बताया कि मानवाधिकार में गरिमापूर्ण जीवन का अधिकार समाहित है। हम सभी लोगों को समाज के सभी तबके को उनके मानवाधिकारों के प्रति जागरूक कराने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। इसके साथ ही प्रत्येक व्यक्ति को मानवाधिकार मिले, इस हेतु अन्य को भी सचेत करना चाहिए। राष्ट्रीय सेवा योजना कार्यक्रम अधिकारी डॉ. हंसराज ने बताया कि मानवाधिकार केवल किताबों के पन्नों तक सीमित ना हो बल्कि यह प्रत्येक व्यक्ति को सुलभ हो ऐसी हम सभी की जिम्मेदारी होनी चाहिए। राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी डॉ. धनंजय कुमार शर्मा ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस केवल दिवस मनाने तक ही सीमित ना हो बल्कि इसका पालन संवैधानिक रूप से हम सभी समाज के बुद्धिजीवी को करना चाहिए। समाज के प्रत्येक व्यक्ति को उसके अधिकारों के प्रति सजग रहने की जानकारी भी हम सभी लोगों को देना चाहिए। कार्यक्रम में डॉ. अनीता, डॉ. ध्यानेंद्र मिश्रा विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं तथा कर्मचारी गण कार्यक्रम में मौजूद रहे।