वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो. आनंद त्यागी ने कहा कि हिन्दी का पत्रकारिता से विशेष जुड़ाव है। आजादी के दौर में हिन्दी पट्टी के पत्रकारों ने अहम भूमिका निभायी है। इसके अलावा साहित्यकार और कवियों ने भी हिन्दी को काफी समृद्ध किया है। बुधवार को वह महामना मदन मोहन मालवीय हिन्दी पत्रकारिता संस्थान की ओर से विश्व हिन्दी दिवस पर ‘वैश्वीकरण की चुनौतियां और हिन्दी’ विषयक संगोष्ठी को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि हिन्दी जनमानस की भाषा है। आज हिन्दी पत्रकारिता ने अर्न्तराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। मुख्य वक्ता डॉ. दयानंद सिंह ने कहा कि पूरा विश्व वैश्वीकरण से प्रभावित है, इस क्षेत्र में मीडिया ने अद्भुत क्रांति की है। हिन्दी ने वैश्विक स्तर पर तेजी से अपने पांव पसारे हैं। विश्व की दस शीर्ष भाषाओं में हिन्दी का तीसरा स्थान है। विश्व में एक अरब 40 करोड़ लोग हिन्दी बोलते हैं। डॉ. वशिष्ठ सिंह ने कहा कि पत्रकारिता संस्थान का उद्देश्य हिन्दी का उद्थान करना है। वैश्वीकरण के दौर में न्यू मीडिया की बदौलत पूरी दुनिया हमारे मुठ्ठी में आ गयी है। जिसका का हिन्दी का बढ़ता वैश्विक बाजार है। डॉ. राजेन्द्र पाठक ने कहा कि वैश्वीकरण में हिन्दी की चुनौतियां घटी हैं और हिन्दी का बाजार भी बढ़ता जा रहा है। स्वागत करते हुए निदेशक प्रो. अनुराग ने कहा कि हिन्दी हमारे देश की समर्थ भाषा है। इसे अंग्रेजों ने भी स्वीकार किया। उन्होंने बाजार और क्रियाकलापों को विस्तार देने के लिए हिन्दी को आधार बनाया। संगोष्ठी में सूरज चौबे, जया, मिथिलेश, मोनिषा, शशिकांत और रिषभ ने भी विचार रखे।
इस मौके पर डॉ. नवरत्न सिंह, डॉ. जयप्रकाश श्रीवास्तव, डॉ. जिनेश कुमार, शैलेश चौरसिया, अनिरुद्ध पांडे,मनोज गुप्ता, देवेन्द्र गिरि, मंगलम तिवारी, अश्वनी, धन्याश्री, रिया केशरी, मोनिका राय, रश्मि, वर्तिका दीक्षित, स्मिता, हेमा,सृष्टि भट्टाचार्य, दीपक यादव, रजनीश, नन्दलाल, मनीष, प्रियंका, रीता मौर्या, खुशी श्रीवास्तव, आकृति बाजपेई, रितेश कुमार, संतोष प्रजापति, विकास कुमार मौजूद रहे। संचालन आयुषी तिवारी और धन्यवाद शोध छात्र मोहम्मद जावेद ने किया।