दीक्षोत्सव समारोह
वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो. आनंद कुमार त्यागी ने कहा है कि उद्यिता में महिलाओं को बराबरी का स्थान दिया जाना चाहिए। विद्यापीठ के दीक्षोत्सव के मौके पर मंगलवार को मनोविज्ञान विभाग में पाच दिवसीय कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में उन्होंने यह बात कही। “चैलेंजेस फेस्ड बाय विमेन एंटरप्रेन्योर्स इन डेवलपिंग इकोनामी” विषयक एक दिवसीय कार्यशाला में उन्होंने कहा कि कहा कि इसकी शुरुआत विश्वविद्यालय स्तर पर होनी चाहिए।
विशिष्ट अतिथि प्रो. आनंद कुमार, अध्यक्ष, इंडियन एकेडमी ऑफ हेल्थ साइकोलॉजी ने कहा कि महिलाओं में जोखिम लेने हेतु एवं उनमें साहसिक प्रवृत्ति को बढ़ावा देना चाहिए । विशिष्ट अतिथि हुनर-ए-बनारस के तकनीकी प्रशिक्षक अजय कुमार सिंह ने कहा कि समाज के जिम्मेदार व्यक्तियों को महिलाओं की हुनर की न केवल पहचान करनी है बल्कि उन्हें प्रशिक्षित करने की जिम्मेदारी भी निभानी है ।
इस कार्यक्रम की विशेषज्ञ बीएचयू की प्रो. मधु कुशवाहा ने बताया कि श्रम बाजार में भारतीय महिलाओं की भागीदारी नगण्य है। विशेषज्ञ फैशनेप्रेन्योर गुंजन सुनेजा ने कहा कि महिला उद्यमिता में सोशल मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका है।
मुख्य अतिथि आईपीआर विशेषज्ञ संजय रस्तोगी ने वर्तमान परिप्रेक्ष्य में महिलाओं में उद्यमिता के विकास, चुनौतियों एवं उपायों पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने सामाजिक संचार की महत्ता का महिला उद्यमिता में योगदान के बारे में बतलाया। उद्घाटन सत्र में विभागाध्यक्ष प्रो. रश्मि सिंह ने स्वागत तथा कार्यक्रम की निदेशक प्रो. शेफाली वर्मा ठकराल ने कार्यक्रम के स्वरूप एवं उद्देश्यों बारे में विस्तृत जानकारी दी। संचालन डॉ. प्रतिभा सिंह एवं डॉ. दुर्गेश कुमार उपाध्याय ने किया। डॉ. पूर्णिमा श्रीवास्तव, डॉ. कंचन शुक्ला, डॉ. रश्मि रानी, डॉ. दीपमाला सिंह बघेल, डॉ. पूनम सिंह तथा डॉ. संतोष कुमार सिंह की प्रमुख भूमिका रही। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. मुकेश कुमार पंथ ने किया गया। वित्त अधिकारी संतोष शर्मा, कुलसचिव हरीश चन्द, कुलानुशासक प्रो. अमिता सिंह, जनसंपर्क अधिकारी डॉ. नवरत्न सिंह, संकाय अध्यक्ष सामाजिक विज्ञान संकाय प्रो. बृजेश सिंह, प्रो. केएस जायसवाल, प्रो. संजय, प्रो. रेखा, डॉ. चंद्रशेखर, प्रो. अशोक मिश्रा, प्रो. सुशील कुमार गौतम आदि रहे। विभाग की ओर से आयोजित अन्यान्य कार्यक्रमों में महती भूमिका निभाने वाले छात्रों को प्रमाण पत्र भी वितरित किया गया।
दीक्षोत्सव- इतिहास विभाग

इतिहास विभाग में मुख्य वक्ता समाजकार्य विभाग की प्रो. भावना वर्मा ने बताया कि भारत में महिलाओं के प्रति हिंसा दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। जिसके प्रमुख कारणों में पारिवारिक माहौल भी होता है। उन्होंने बताया कि भारत में 86 औरतों पर प्रतिदिन हिंसा दर्ज की जाती है और कितनी हिंसा ऐसी भी होती है जिसमें महिलाएं डर की वजह से अपनी प्राथमिकी दर्ज नहीं करा पातीं। अध्यक्षता संकायाध्यक्ष प्रो.अनुराग कुमार ने की। कार्यक्रम में इतिहास विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष एवं संकायाध्यक्ष प्रो. योगेंद्र सिंह ने मुख्य वक्ता का स्वागत पुष्पगुच्छ एवम अंगवस्त्रम देकर सम्मान किया। बाद में वाद- विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसका शीर्षक “वर्तमान परिपेक्ष में इतिहास विषय की प्रासंगिकता” थी। कार्यक्रम में निर्णायक मंडल के सदस्य पत्रकारिता विभाग के डॉ. विनोद कुमार सिंह रहे। प्रतियोगिता में अनुभव मिश्रा प्रथम, अंकित कुमार एवं रिया सिंह संयुक्त रूप से द्वितीय तथा फातमा व अतुल कुमार संयुक्त रूप से तृतीय स्थान पर रहे। सभी विजेता प्रतिभागियों का प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। संचालन डॉ. अंजना वर्मा एवं धन्यवाद ज्ञापन विभाग की वरिष्ठ अध्यापिका डॉ. जया कुमारी ने किया। डॉ. वीरेंद्र प्रताप, डॉ. गोपाल यादव, डॉ. डॉ.मनोज सिंह, डॉ. सुधीर सिंह, डॉ. प्रिया श्रीवास्तव, डॉ. अंजु सिंह, डॉ. अनिरुद्ध तिवारी, डॉ. अलका पांडे उपस्थित रहीं।
दीक्षोत्सव-मंचकला विभाग

मंचकला विभाग में विभिन्न प्रांतों के लोकगीतों की प्रतियोगिता कराई गई। इसमें विभिन्न विभागों के विद्यार्थियों ने प्रतिभाग किया। विद्यार्थियों ने “भ्रूणहत्या” पर भोजपुरी लोकगीत- “एतने बा साध माई रे मोरा” की प्रस्तुति क्रमशः बसंत, श्रीओम, अरविंद, जतिन, श्रेयांश,आशीष ने किया। ततपश्चात पंजाबी लोकगीत- “वे माईया तेनु देखन नू ” क्रमशः प्रिया, अंजली, शिवम, मनीष, तनु, प्रिंस ने गाया। ततपश्चात कजरी, डोमकच एवं गोदना जैसे पूर्वांचल क्षेत्र के पारंपारिक लोकगीतों की प्रस्तुति मनोज, आशीष, रामेश्वर, विजय, सुनील आदि के द्वारा हुई। इस प्रतियोगिता की निर्णायक समाजशास्त्र विभाग की प्रो.भारती रस्तोगी रही। कार्यक्रम का समापन विभाग प्रभारी डॉ. संगीता घोष द्वारा धन्यवाद ज्ञापन से किया गया। इस अवसर पर छात्र कल्याण संकायाध्यक्ष प्रो.के.के. सिंह, मंच कला विभाग की डॉ आकांक्षी, सुमंत कुमार आदि उपस्थित रहे।
दीक्षोत्सव-राजनीति विज्ञान विभाग

राजनीति विज्ञान विभाग में विभागध्यक्ष डॉ. सूर्यभान प्रसाद ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की। विषय प्रस्तावना कार्यक्रम के संयोजक डॉ. रेशम लाल ने की। डॉ. सूर्यभान प्रसाद ने कहा कि शैक्षणिक उत्सव की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। सभी विद्यार्थियों के जीवन में दीक्षांत समारोह के माध्यम से डिग्री लेना काफी गौरवशाली प्रतीत होता है। उद्घाटन सत्र का संचालन डॉ. रवि प्रकाश सिंह ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम के सह -संयोजक डॉ. जयदेव पाण्डेय ने किया। रंगोली प्रतियोगिता में छः ग्रुप ने प्रतिभाग किया। इसके बाद भाषण प्रतियोगिता में स्नातक, परास्नातक के दस प्रतिभागियों ने भाग लिया। जिसका विषय स्वतंत्रता आंदोलन में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ की भूमिका रही। वाद-विवाद प्रतियोगिता में स्वतंत्रता के बाद भारत की विदेश नीति की दशा और दिशा विषय पर विद्यार्थियों ने पक्ष व विपक्ष में विचार रखे। रंगोली प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल में डॉ. रवि प्रकाश सिंह और डॉ. ज्योति सिंह रहीं। भाषण प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल में डॉ. विजय कुमार और डॉ. पीयूष मणि त्रिपाठी थे। वाद -विवाद प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल में डॉ. रेशम लाल और डॉ. विजय कुमार रहें। शैक्षणिक उत्सव में स्नातक, परास्नातक और शोध के छात्र -छात्राओं की सक्रिय भागीदारी रहीं।
दीक्षोत्सव-समाजशास्त्र विभाग

समाजशास्त्र विभाग में सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन किया गया, जिसमें स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर की विभिन्न कक्षाओं के विद्यार्थियों ने संगीत, नृत्य, गायन एवं कविता पाठ में सहभागिता की। नेहा भारती, निकिता सिंह, श्रीकांत शर्मा, ममता सिंह सहित विभिन्न कक्षाओं के विद्यार्थी सम्मिलित हुए। कार्यक्रम का शुभारंभ प्रो. रेखा विभागाध्यक्ष समाजशास्त्र विभाग के अध्यक्षीय उदबोधन से हुआ। कार्यक्रम का संचालन डॉ. चन्द्रशेखर ने किया। समाज विज्ञान संकाय के संकायाध्यक्ष प्रो. ब्रजेश कुमार सिंह, कुलानुशासक प्रो. अमिता सिंह, प्रो. भारती रस्तोगी, डॉ. सौम्या यादव, डॉ. राहुल गुप्ता, डॉ. जयप्रकाश यादव, डॉ. सुरेंद्र कुमार, डॉ. संजय सोनकर आदि अध्यापकों एवं शोध विद्यार्थी धर्मेंद्र, पूजा , प्रिया, अमृता आदि की गरिमामई उपस्थिति रही।