वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के शिक्षा शास्त्र विभाग में एशियन ब्रिज संस्था एवं मैसवा वाराणसी के सहयोग से आयोजित जेंडर संवेदनशीलता विषयक कार्यशाला में मुख्य वक्ता में प्रो. संजय जी ने कहा कि जेंडर को सामाजिक एवं सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य के परे देखना उचित नही होगा।
प्रो. संजय ने कहा कि जेंडर एक सामाजिक सांस्कृतिक संप्रत्यय है, जबकि सेक्स एक जैविक संप्रत्यय है। उन्होंने कहा कि जेंडर और सेक्स के वास्तविक अर्थ को समझना चाहिए और समाज में हो रहे जेंडर आधारित भेदभाव को कम करना चाहिए।
कार्यशाला के दौरान जेंडर को समझने के लिए सांप सीढ़ी के खेल भी संचालक मूसा ने कराया, जिसमे विद्यार्थियों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। मुख्य अतिथि का स्वागत प्रो रमा कांत किया.कार्यक्रम मे रमेश प्रजापति, दीक्षा, अश्विनी, शिवानी, अनुज, पूनम, नैना, ज्योति, कृष्ण, विकास वर्मा, पल्लवी, अंकित, पूजा, रविकांत, सोनम मोहित, आकृति, शालिनी मिश्र, रोहिणी,समेत सभी विधार्थी उपस्थित थे। संचालन वीणा ने तथा संयोजन अभिलाषा व ज्योत्सना राय ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ.सुरेंद्र राम ने किया। कार्यक्रम की जानकारी विश्वविद्यालय के सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी डॉ नवरत्न सिंह ने दी।