वाराणसी। शास्त्रीय संगीत का आनंद श्रोताओं को तभी मिल सकता है, जब उनमें इसकी थोड़ी समझ हो। यह बात शास्त्रीय गायक पं. भोलानाथ मिश्र ने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के मंचकला विभाग में सिडबी और स्पिक मैके की ओर से आयोजित कार्यशाला में बुधवार को कही।

पं. मिश्र ने छात्र-छात्राओं को पूर्व के रागों की पुनरावृति कराते हुए राग रागेश्री का अभ्यास कराया गया। जिसमें झपताल में निबद्ध बंदिश “सावन की ऋतु आई चहुं दिस घटा छाई” के बाद रागेश्री मे एक अतिसुंदर तराना, तत्पश्चात दादरा मे निबद्ध बंदिश “आया करे जरा कह दो सांवरिया से” के स्थायी और अंतरा का अभ्यास कराया।
कार्यशाला में तबले पर आनंद मिश्रा, हारमोनियम पर शिवम मिश्रा तथा तानपुरा पर श्वेता दूबे ने संगत की। स्वागत मंचकला विभागाध्यक्ष डॉ. संगीता घोष एवं संचालन डॉ.आकांक्षी ने किया। उक्त अवसर पर स्पिक मैके के चेयर पर्सन यूसी सेठ, पवन सिंह उपस्थित थे।