वाराणसी। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर स्थित गुरुघासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक कुमार चक्रवाल ने कहा कि उद्देश्य की पूर्ति के लिए प्रयोगसिद्ध शोध करना होगा।
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के वाणिज्य विभाग में मंगलवार को नवप्रवेशी छात्र-छात्राओं के लिए आयोजित प्रवर्तन कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि शोध का मुख्य उद्देश्य आत्मिक खुशी है। शोध का विषय ऐसा होना चाहिए, जिससे समाज को लाभ पहुंचे। उन्होंने कहा कि मनोवृत्ति को बदलें, सकारात्मक रहें, सकारात्मक परिवर्तन पर ध्यान दें, सकारात्मक मनोवृत्ति शोध तथा जीवन को सफल कर सकती है। अपने अन्दर पढ़ने-पढ़ाने की प्रवृत्ति विकसित करें।
सत्र की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. आनन्द कुमार त्यागी जी ने कहा कि ’पीएचडी में 90 प्रतिशत कार्य छात्र का होता है, जबकि 10 प्रतिशत ही निदेशक, लैब, पुस्तकालय इत्यादि का होता है। उन्होंने कहा कि सारे शोधार्थी शोध की नई दुनिया में कदम रखने जा रहे हैं, जहां आप रोज कुछ नया सीखेंगे, नई चुनौतियों का सामना करेंगे, एक नई स्वतंत्रता का अनुभव करेंगे। इसलिए अपनी ऊर्जा को सही जगह लगाने की कोशिश करें। शोध कार्य की गुणवत्ता पर कार्य करना सबसे जरूरी मानक है। उन्होंने कहा कि क्वालिटी रिसर्च पेपर के दो आयाम होते हैंः प्रथम जर्नल इन्डेक्सिगं के मूल इन्डेसेस, द्वितीय-जर्नल का इम्पैक्ट फैक्टर, जिसको शोधार्थियों को ध्यान में रखते हुए अपने शोध को पब्लिश कराना चाहिए। उन्होंने शोधार्थियों को कोर्सवर्क के दौरान रिसर्च के प्रश्नपत्र को बहुत ध्यान से पढ़ने एवं अपने गाइड के सलाह एवं सुझावों को गम्भीरता से लेने और अपनी क्षमता के आधार पर अपने प्रदर्शन को निरन्तर बढ़ाने की सलाह दी। इन्होंने निजी शोध अनुभवों को भी शोधार्थियों के साथ साझा किया तथा शोध से जुड़ी कठिनाईयों एवं इनके निराकरण के विषय में भी बतलाया। इस शोध प्रवर्तन कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य शोधार्थियों को मानसिक रूप से तैयार करना है। शोध किसी समय सीमा में नहीं बंधता है अपितु यह निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया है।
अतिथियों का वाचिक स्वागत एवं विषय प्रवर्तन करते हुए विभागाध्यक्ष प्रो. केएस जायसवाल ने कहा कि ’’शोध वास्तव में परिकल्पनाओं पर आधारित होता है किन्तु निष्कर्ष में हम वह तत्व प्राप्त करते हैं जो हम पहले नहीं जानते थे। छात्रों को शोध को चुनौती समझकर वास्तविक एवं मूल आंकड़ों पर ध्यान देना चाहिए।
कार्यक्रम के सह-संयोजक संकायाध्यक्ष, वाणिज्य एवं प्रबन्धशास्त्र संकाय प्रो. अशोक कुमार मिश्र ने कुलपति का स्वागत किया। धन्यवाद प्रो. अजीत कुमार शुक्ल पूर्व संकायाध्यक्ष, वाणिज्य एवं प्रबन्धशास्त्र संकाय तथा संचालन डॉ. आयुष कुमार ने किया। इस कार्यक्रम में 50 से अधिक नवप्रवेशी शोध छात्रों के साथ विभाग एवं संकाय के सभी आचार्य प्रो. अशोक कुमार मिश्र, संकायाध्यक्ष वाणिज्य एवं प्रबन्धशास्त्र संकाय, प्रो. सुधीर कुमार शुक्ल, प्रो. कृष्ण कुमार अग्रवाल तथा डॉ. धनन्जय विश्वकर्मा उपस्थित थे।