वाराणसी। अमेरिका में लूट प्रथा के परिणाम स्वरूप अमेरिकी राजनीतिक व्यवस्था में भ्रष्टाचार जैसा मुद्दा प्रभावी हो गया था साथ ही बेरोजगारी के कारण जनता के बीच व्याप्त असंतोष को देखते हुए लोक सेवा में भर्ती प्रणाली में बड़े स्तर पर सुधार की जरूरत महसूस हुई, जिसके परिप्रेक्ष्य में वुडरो विल्सन ने 1887 में अपने लेख के माध्यम से लोक प्रशासन जैसे विषय को लाया और राजनीति को प्रशासन से अलग करने की बात की।
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के राजनीति विज्ञान विभाग में व्याख्यानमाला के तहत Contemporary Shift in Public Administration विषय पर रविवार को ये बातें मुख्य वक्ता बीएचयू के राजनीति शास्त्र विभाग के डॉ. गोविंद कुमार इनखिया ने कहीं।
डॉ. इनखिया ने कहा कि लोक प्रशासन के क्रमिक विकास के क्रम में प्रशासन के स्वरूप के संकट का काल आया, पहचान की समस्या हुई और बाद के दिनों में फ्रेंक मेरिनी ने अपने लेखन के माध्यम से New Public Administration को बताया जिसमें मूल्यों एवं प्रासंगिकता पर बल दिया। 1988 के मिन्नोब्रुक सम्मेलन के बाद समकालीन विश्व में जब लोक प्रशासन को एक नए वातावरण में देखा गया, जिसमें लोक कल्याणकारी राज्य की भूमिका को कमतर किया गया और नव उदारवाद जैसी धारणा विकसित हुई। उन्होंने बताया कि 21वीं सदी में अमेरिका सहित दुनिया के अन्य देशों में प्राकृतिक आपदा आयी, उसके बाद लोक प्रशासन के क्षेत्र में विकास के साथ – साथ आपदा प्रबंधन पर बल दिया जाने लगा। साथ ही सुशासन जैसी एक नई पद्धति विकसित हुई जिसमें विधि के शासन, समावेशी विकास, पारदर्शिता, उत्तरदायित्व जैसे विषयों पर दृष्टि डाली गई।
स्वागत एवं परिचय राजनीति विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ. सूर्यभान प्रसाद ने किया व धन्यवाद ज्ञापन डॉ. रेशम लाल ने किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से डॉ. विजय कुमार, डॉ. रवि प्रकाश सिंह, डॉ. पीयूष मणि त्रिपाठी, डॉ. जयदेव पाण्डेय सहित स्नातक एवं स्नातकोत्तर के विद्यार्थी सम्मिलित हुए।