वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के गांधी अध्ययन पीठ से संचालित चाइल्ड लाइन परियोजना में जिले के शेल्टर होम संचालको, चाइल्ड लाइन रेलवे चाइल्ड लाइन के काउंसलरों के लिए एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन मंगलवार को किया गया। कार्यशाला का उद्घाटन राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग लखनऊ के सदस्य अशोक यादव एवं गांधी अध्ययन केंद्र के निदेशक प्रो. अशोक कुमार मिश्रा ने किया।
अशोक यादव ने कहा कि देखरेख और जरूरतमंद बच्चों के लिए काउंसलिंग एक महत्वपूर्ण आयाम है और अगर सही काउंसलिंग किया जाए तो बच्चों को वापस उनके परिजनों तक पहुंचाना आसान हो जाता है। अध्यक्षता करते हुए प्रो. अशोक कुमार मिश्र ने कहा कि बच्चों के लिए कार्य कर रही चाइल्ड लाइन एवं अन्य संस्थाओं का समय-समय पर क्षमता संवर्धन कार्यक्रम होते रहते हैं और उसी क्रम में यह काउंसलिंग पर प्रशिक्षण किया जा रहा है। चाइल्ड लाइन ने आप सभी संस्थाओं के क्षमता वर्धन के लिए एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया है और उम्मीद करते हैं कि कार्यशाला के बाद आपके कार्य की गुणवत्ता में और अधिक विकास होगा।
मनोविज्ञान विभाग के डॉ. दुर्गेश उपाध्याय ने बाल मनोविज्ञान और काउंसलिंग के तरीकों एवं रिपोर्ट के बारे में विस्तार से सत्र लिया और उसके बारे में जानकारी प्रदान की। संस्था से आए हुए प्रतिनिधियों ने कार्य में आने वाली समस्याओं के बारे में रिसोर्स पर्सन को अवगत कराया और उन्होंने उनका निदान किया।
समापन सत्र में मुख्य अतिथि जिला प्रोबेशन अधिकारी सुधाकर पांडे ने संस्थाओं को यह बताया कि किस प्रकार कार्य क्षेत्र में अपने व्यक्तित्व का विकास करके हम काउंसलिंग कर बच्चों को वापस उनके घर पर भेजने में सहायक हो सकते हैं। अगर काउंसलिंग सही तरीके से किया जाए और उसकी रिपोर्टिंग हो तो बच्चों को वापस उनके घर भेजने में काफी मदद मिल सकती है।
बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष स्नेहा उपाध्याय ने प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे सभी प्रतिभागियों से कहा कि बच्चों की स्थिति के अनुसार कार्य करना चाहिए। कार्यक्रम का संचालन शिशिर श्रीवास्तव जिला परियोजना समन्वयक द्वारा किया गया एवं धन्यवाद ज्ञापन निरुपमा सिंह बाल संरक्षण अधिकारी जिला बाल संरक्षण इकाई ने किया। कार्यक्रम में अस्मिता गुड़िया होप होम काशी अनाथालय एवं अन्य संस्थाओं के काउंसलर एवं अन्य संस्थाओं के प्रतिभागियों ने किया।