वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के शिक्षाशास्त्र विभाग के प्रशिक्षुओ के लिए पाठचर्या के मूल्यांकन के संदर्भ में आयोजित ‘परिसंवाद’ (अंकान्फ्रेंस) में विभागाध्यक्ष प्रो. शैलेंद्र वर्मा ने कहा कि द्वि मार्गी शिक्षण व्यवस्था की सफलता के लिए ‘परिसंवाद’ का होना अत्यंत आवश्यक है।परिसंवाद न केवल शिक्षक को अपनी बात कहने का अवसर देता है, बल्कि विद्यार्थियों की बात सुनने का भी अवसर उपलब्ध कराता है।
परीक्षा मे पूछे जाने वाले प्रश्नों के विभिन्न प्रकारों के संदर्भ मे विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत जिज्ञासाओ के संदर्भ मे प्रो. अरविंद पांडे ने विवरण, व्याख्या एवं वर्णन वाले प्रश्नों का उत्तर की शैली पर विद्यार्थियों की शंका का समाधान किया। विद्यार्थियों ने सभी प्रश्नपत्रो के अध्यनोपरान्त आने वाली कठिनाइयों एवं उनसे संबंधित समस्याओं के समाधान के लिए विशेषज्ञों से प्रश्न पूछ कर अपनी जिज्ञासा को शांत किया।
दर्शन एवं समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य के संबंध में पूछे गए प्रश्नो का उत्तर डॉ. अरविंद व डॉ. राजेंद्र यादव ने बहुत ही सरल एवं सार्थक रूप में दिया । इसी क्रम मे शिक्षा मनोविज्ञान से संबंधित विद्यार्थियों के प्रश्नों के उत्तरों को डॉ. राखी देव ने,विद्यालय, लिंग एवं समाज प्रश्नपत्र मे आने बाली कठिनाइयों के संदर्भ में डॉ. दिनेश कुमार ने, क्रियात्मक शोध के संदर्भ में विद्यार्थियों की व्यक्तिगत समस्याओं का निवारण प्रो सुरेंद्र राम, प्रो रमाकांत व डॉ रमेश ने किया।
इस कार्यक्रम मे विद्यार्थियों ने शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में वांछित सुधार हेतु सुझाव भी प्रस्तुत किये। समस्त प्रशिक्षुओ द्वारा प्रस्तुत किये गए प्रस्तावो पर समस्त शिक्षकों द्वारा सहमति जताई गई तथा भविष्य मे उक्त सुझावो पर अमल करने का आश्वाशन भी दिया गया।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. वीणा वादिनी ने एवं धन्यवाद ज्ञापन परास्नातक प्रशिशु गिरिजेश मिश्रा द्वारा किया गया। इस अवसर पर अनुज, रेशमा, मोहिनी, आस्था, राम्प्रकाश, सुजीत, गौरव, नीलू, श्रद्धा , यश्वी, महिमा, रमेश, गंगा, आनंद लक्षमी,साक्षी, शिव नारायण, शिखा, नेहा समेत सभी प्रशिक्षु उपस्थित थे। कार्यक्रम की जानकारी विश्वविद्यालय के सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी डॉ नवरत्न सिंह ने दी है।