वाराणसी। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रो. हरिराम मिश्रने कहा कि संस्कृत में मनुष्य को आचार तथा व्यवहार के साथ ही साथ सर्वांगीण विकास की पृष्ठभूमि प्राप्त होती है।
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के संस्कृत विभाग में आयोजित संस्कृत महोत्सव में मुख्य वक्ता संस्कृत विभाग के पूर्व आचार्य प्रो. श्रीनिवास ओझा ने भी संस्कृत भाषा के विभिन्न पहलुओं को बतलाते हुए भाषा के चार रूपों को बहुत ही स्पष्ट एवं सरल तरीके से बताया। विभाग एवं संकाय अध्यक्ष प्रो. योगेंद्र सिंह ने भी विचार प्रस्तुत किए।
मंगलाचरण डॉ. दिनेश शुक्ला एवं पौराणिक मंगलाचरण प्रवीण त्रिपाठी ने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में डॉ. दीपक कुमार, डॉ. नीरज धनकर, डॉ. पीतांबर दास, डॉ. रामाश्रय सिंह, डॉ. राजमणि एवं डॉ विजय रंजन आदि उपस्थित रहे विभागीय अतिथि अध्यापक डॉ. श्यामा मिश्रा, डॉ, चंद्रमा प्रसाद, डॉ. श्वेता अग्रहरि, डॉ. विभा सिंह, डॉ. रेखा यादव, डॉ. शशि सिंह एवं विभागीय शोध छात्र स्नातक परास्नातक के छात्रों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। संचालन डॉ. अनीता व धन्यवाद डॉ. सीमा यादव ने किया