वाराणसी। राष्ट्ररत्न बाबू शिव प्रसाद गुप्त अगर देश के बंटवारे तक जिंदा रहते तो देश का विभाजन नहीं हुआ होता, क्योंकि महात्मा गांधी पर गुप्त जी का प्रभाव अत्यधिक था।
यह बात बाबू शिव प्रसाद गुप्त के प्रपौत्र डॉ. अंबुज गुप्ता ने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में मंगलवार को बाबू शिव प्रसाद गुप्त की 139वी जयंती पर आयोजित समारोह में कही। उन्होंने उस दौर का भी जिक्र किया, जब जर्मनी में नाजियों की तूती बोल रही थी और शिव प्रसाद गुप्त जर्मनी के दौरे पर थे। उसी दौर में बाबू शिवप्रसाद गुप्त ने निशानेबाजी में एक प्रतियोगिता जीती थी, जिससे सारे जर्मन के होश उड़ गए थे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. आनंद कुमार त्यागी ने कहा कि बाबू शिवप्रसाद गुप्त ने भारतीय शिक्षा को एक नई दिशा प्रदान की और सभी छात्रों का आह्नवान किया कि हम सब को एक साथ मिलकर बाबू शिवप्रसाद द्वारा बताए गए मार्ग पर चलना होगा। तभी हम सभी बाबू शिवप्रसाद गुप्त को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित कर पाएंगे। छात्र कल्याण संकाय अध्यक्ष डॉ. बंशीधर पांडे ने भी विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का आयोजन छात्र संघ उपाध्यक्ष शिव जनक गुप्ता ने किया। संचालन रजनीश कुमार चौरसिया तथा धन्यवाद ज्ञापन का कार्य पूर्व छात्र संघ उपाध्यक्ष प्रेम प्रकाश गुप्त ने किया।
कार्यक्रम में डॉ. राहुल गुप्ता कुलाशासक प्रो. निरंजन कुमार सहाय, कोषाध्यक्ष छात्रसंघ डॉ. नवरत्न सिंह ,वित्त अधिकारी संतोष कुमार शर्मा, पुस्तकालय अध्यक्ष डॉ. शिवराम वर्मा तथा अंकित जायसवाल, सुरेंद्र खरवार, रचित गुप्ता, राहुल साहनी, अनुपम, राजन गुप्ता, लकी साहू, विवेक गुप्ता, अभिषेक गुप्ता, आनंद यादव, सावन सोनकर, आदि छात्र उपस्थित रहे। विद्यापीठ के अन्य विभागों में भी बाबू शिवप्रसाद गुप्त जी की जयंती मनाई गई और उनको श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए।