वाराणसी। “मनुष्य का शारीरिक मानसिक तथा चारित्रिक विकास अष्टांग योग के माध्यम से संभव है। आसनों के जरिए हम शारीरिक और मानसिक विकास तो कर लेते हैं, लेकिन यम तथा नियम के अनुपालन से मनुष्य में चारित्रिक विकास के साथ भावनात्मक तथा सामाजिक विकास भी होता है।”
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा शिक्षा केंद्र तथा शारीरिक शिक्षा विभाग की ओर से आयोजित योग महोत्सव के दौरान शुक्रवार को शिक्षा संकाय अध्यक्ष प्रो. सुशील कुमार गौतम ने यह बात कही। इसी क्रम में अतिथि प्रशिक्षक भूपेंद्र कुमार उपाध्याय ने विभिन्न आसनों का अभ्यास कराया,जिनमें उत्कटासन (पेट और जांघों के विकास के लिए) गरुड़ासन (संवेदी तंत्रों के विकास के लिए), कटी आसन (पीठ के दर्द निवारण के लिए), नटराज आसन (शारीरिक संतुलन के लिए), ध्रुव आसन (एकाग्रता के साथ संतुलन के लिए) तथा कोण आसन (रीढ और कमर के लिए ) प्रमुख हैं।
कार्यक्रम में डॉ. कुंदन सिंह, डॉ. बालरूप यादव, डॉ. सुनीता, डॉ. चंद्रमणि, निशा यादव, अभिषेक कुमार मिश्रा, अमित कुमार गौतम, रमेश यादव, पूजा सोनकर तथा प्रताप शंकर दुबे का विशेष सहयोग रहा। कार्यक्रम में चंदौली से डॉ. श्रवण यादव, बड़ागांव से डॉ. आनंद प्रकाश, भैरोतालाब से डॉ. रणधीर सिंह, डॉ सुरेंद्र राम, जयशंकर प्रसाद सिंह, लालता प्रसाद, अंजनी कुमार सहित बड़ी संख्या में प्रतिभागी उपस्थित रहे।